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This Article is From Oct 07, 2021

Navratri 2021: नवरात्र के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, ये है व्रत कथा और पूजन विधि

Navratri 2021: मां शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की बेटी मानी जाती हैं. यही वजह है कि इनका नाम माता शैलपुत्री है. माता को सफेद रंग अतिप्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई का ही भोग लगाया जाता है.

Navratri 2021: नवरात्र के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, ये है व्रत कथा और पूजन विधि
Navratri 2021: नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, ये है कथा और पूजन विधि
नई दिल्ली:

Navratri 2021: नवरात्रि के पहले दिन की शुरूआत माता शैलपुत्री के पूजन के साथ होती है. माता शैलपुत्री सफेद वस्त्रों में सफेद बैल नंदी पर विराजित हैं. एक हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं और दूसरे हाथ में कमल का फूल. माता शैलपुत्री को उनके इस स्वरूप के कारण सभी जीवों का रक्षक भी माना जाता है. वृषोरूढ़ा और उमा जैसे अलग-अलग नामों से शैलपुत्री माता पहचानी जाती हैं. ये पर्वतराज हिमालय की बेटी मानी जाती हैं, यही वजह है कि इनका नाम माता शैलपुत्री है. माता को सफेद रंग अतिप्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई का ही भोग लगाया जाता है.

मां शैलपुत्री की कथा

ये कथा उस अनुष्ठान से शुरू होती है, जिसका आयोजन राजा दक्षप्रजापति ने करवाया था. भगवान शिव का तिरस्कार करने के उद्देश्य से उन्होंने शिव और सती को उस आयोजन का निमंत्रण नहीं भेजा. बिना बुलाए भी सती उस अनुष्ठान में जाने की जिद पर अड़ी रहीं. पिता का स्नेह, बहनों का प्यार और मां की ममता को दोबारा अनुभव करने के लिए भी वो अपने घर जाना चाहती थीं. शिवजी ने उन्हें रोकने की कोशिश की पर उनकी इच्छा देख वो शांत रहे. अनुष्ठान में जाकर खुद सती ने महसूस किया कि उनके पिता दक्ष प्रजापति बार-बार उनके पति का अपमान कर रहे हैं. सती ये सह न सकीं और यज्ञ की अग्नि में खुद को भस्म कर दिया. सती के भस्म होने से शिव कुपित हुए और दक्ष प्रजापति के पूरे साम्राज्य का विनाश कर दिया. सती का दूसरा जन्म हुआ. नए जन्म में वो पर्वतराज हिमालय की पुत्री बन कर जन्मी. नाम मिला शैलपुत्री, जिन्हें पार्वती का ही दूसरा रूप माना जाता है. उन्हें हेमवती भी कहा जाता है.

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 Navratri 2021 Date: नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

माता शैलपुत्री की पूजन विधि

माता शैलपुत्री के पूजन के लिए सुबह उठ कर सबसे पहले स्नान करें और फिर ताजे सफेद फूल चुने. पूजन कक्ष में माता के लिए चौकी तैयार करें. मन में शैलपुत्री का ध्यान करें और उन्हें रोली चावल व सफेद फूल अर्पित करें. आरती के लिए देसी घी का दीपक जलाएं. माता के समक्ष दुर्गा चालीसा का पाठ करें. कई भक्त सप्तशती का पाठ भी करते हैं.

इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्य नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।
ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

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