Happy Shardiya Navratri 2021: हिंदू धर्म के हर त्योहार में कई रीति-रिवाज होते हैं, लेकिन अक्सर हमें इनके पीछे का उद्देश्य पता ही नहीं होता है. नवरात्र में कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है. हम में से अधिकतर लोगों को पता नहीं होगा कि जौ आखिर क्यों बोते हैं? नवरात्रि (Navratri) में ज्वारे (जौ) (Jaware) के बिना मां दुर्गा (Maa Durga Puja) की पूजा अधूरी मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) हो या फिर गुप्त नवरात्रि या फिर चैत्र नवरात्रि की बात करें, सभी नवरात्रि में ज्वारे (Jaware Importance In Navratri) का काफी महत्व होता है. नवरात्र में जौ बोने की परंपरा सनातन धर्म में सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि जो लोग कलश स्थापना या घट स्थापना करते हैं, उनको ज्वारे जरूर बोना चाहिए. क्योंकि ज्वारे के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है.
हिंदू धर्म में नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि में प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय मिट्टी के बर्तन में ज्वारे बोने की ये परंपरा काफी पुरानी है. ज्वारों को कलश स्थापना के समय शुभ मुहूर्त में माता रानी की चौकी के पास ही बोया जाता है. ज्वारों को नवरात्रि के समापन पर बहते पानी में प्रवाहित किया जाता है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. इस दौरान माता के भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए पूरे नौ दिन तक उपवास रखकर उनकी पूजा करते हैं. नवरात्र में जौ बोने के पीछे मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी. जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता है. जौ बोने का मुख्य कारण है कि अन्न ब्रह्म है, इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए.
Shardiya Navratri 2021: जौ बोने के पीछे ये है वजह, छिपा है भविष्य का संकेत
क्यों बोये जाते हैं ज्वारे
मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में माता की आराधना के क्रम में कलश स्थापना करते समय, पूजा स्थल पर ज्वारे इसलिए बोये जाते हैं, क्योंकि हिन्दू धर्म ग्रंथों में सृष्टि की शुरूआत के बाद पहली फसल जौ ही मानी गयी है. इसलिए जब भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, तो हवन में जौ अर्पित किये जाते हैं. एक वजह ये भी मानी जाती है कि जौ अन्न ब्रह्म है और हमें अन्न का हमेशा सम्मान करना चाहिए. इसका स्थान हमेशा ऊंचा रखना चाहिए और अन्न का कभी अपमान नहीं करना चाहिए.
जौ के रंग से संकेत
माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में बोये गए जौ के रंग से भी शुभ-अशुभ संकेत मिलते हैं. कहा जाता है कि अगर जौ के ऊपर का आधा हिस्सा हरा हो और नीचे से आधा हिस्सा पीला हो तो इससे आने वाले साल का पता चलता है. यानी कि इस रंग की जौ होने का आशय है कि आने वाले साल में आधा समय अच्छा होगा और आधा समय परेशानियों और दिक्कतों से भरा होगा. इसके अलावा अगर जौ का रंग हरा हो या फिर सफेद हो गया हो, तो इसका अर्थ होता है कि आने वाला साल काफी अच्छा जाएगा. यही नहीं देवी भगवती की कृपा से आपके जीवन में अपार खुशियां और समृद्धि का वास होगा.
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