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This Article is From Sep 16, 2017

नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, नहीं आएगी शादी-विवाह में कोई बाधा

नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के रुप महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित और मलिन विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा और ज्ञान की ज्योति जलाता है. मां का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा विश्वास व निष्ठ की भावना बढ़ाता है.

नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, नहीं आएगी शादी-विवाह में कोई बाधा
नवरात्र 2017, आठवां दिन: आज करें महागौरी की पूजा
नई दिल्‍ली: नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्‍वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं. यह भगवान शिवजी की अर्धांगिनी हैं. कठोर तपस्या के बाद देवी ने शिवजी को अपने पति के रुप में प्राप्त किया था.

महागौरी की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने का विधान है लेकिन अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन मां को चुनरी भेट करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

मां दुर्गा का आठवां रुप महागौरी व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित और मलिन विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा और ज्ञान की ज्योति जलाता है. मां का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा विश्वास व निष्ठ की भावना बढ़ाता है. मां दुर्गा की अष्टम शक्ति है महागौरी जिसकी आराधना से उसके भक्तों को जीवन के सही राह का ज्ञान होता है जिस पर चलकर वह अपने जीवन का सार्थक बना सकता है.

भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने इन्हें स्वीकार किया और गंगा जल की धार जैसे ही देवी पर पड़ी देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो गईं और उन्हें मां गौरी नाम मिला.
 
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी और इनकी पूजा करने से शादी-विवाह के कार्यों में आ रही बाधा खत्‍म हो जाती है. कहा जाता है कि विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है.

मां महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।

एक दिन है अष्‍टमी और नवमी तिथि
चैत्र नवरात्र की अष्‍टमी और नवमी तिथि एक दिन यानि 4 अप्रैल को है. सुबह 10:10 बजे अष्‍टमी तिथि के खत्‍म होने के बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी. दोनों तिथियां एक साथ होने से मां के आठवें और नौवें स्‍वरूप की पूजा भी एक साथ ही किया जाना चाहिए. इसके साथ ही भगवना श्रीराम की जन्‍मतिथि भी इसी दिन है, तो इसके साथ राम नवमी भी मनाई जाएगी.

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