Mangala Gauri Vrat 2022: सावन का मंगला गौरी व्रत है बेहद खास, बन रहे हैं ये 3 संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

Mangala Gauri Vrat 2022: सावन मास का मंगला गौरी व्रत बेहद खास संयोग में पड़ रहा है. इस दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं.

Mangala Gauri Vrat 2022: सावन का मंगला गौरी व्रत है बेहद खास, बन रहे हैं ये 3 संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

Mangala Gauri Vrat 2022: सावन का पहला मंगला गौरी व्रत है खास.

Mangala Gauri Vrat 2022: सावन (Sawan) का महीना 14 जुलाई से शुरू होने वाला है. इस पावन मास में भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सोमवार का व्रत (Somvar Vrat) रखते हैं. सावन मास के सोमवार (Sawan Somvar Vrat) के अलावा इस महीने के मंगलवार का भी खास महत्व है. दरअसल इस महीने में पड़ने वाले मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत (Mangala Gauri Vrat) रखा जाता है. मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) मुख्य रूप से मां पार्वती (Maa Parvati) को समर्पित माना गया है. इस व्रत के दौरान मां पार्वती की पूजा की जाती है. इस साल सावन में 4 मंगला गौरी व्रत पड़ने वाले हैं. इस बार मंगला गौरी व्रत खास रहने वाला है. आइए जानते हैं कि सावन का मंगला गौरी व्रत किस प्रकार खास है.

सावन मंगला गौरी व्रत 2022 तिथि | Mangala Gauri Vrat 2022 Date

  • पहला मंगला गौरी व्रत- 19 जुलाई
  • दूसरा मंगला गौरी व्रत- 26 जुलाई
  • तीसरा मंगला गौरी व्रत- 02 अगस्त
  • चौथा मंगला गौरी व्रत- 09 अगस्त

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सावन का पहला मंगला गौरी व्रत है खास

ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, सावन का पहला मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) बेहद खास है. दरअसल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का खास संयोग बन रहा है. ऐसे में पहला मंगला गौरी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा. सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन रवि योग और सुकर्मा योग भी रहेगा. इन तीनों शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. 

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि | Mangala Gauri Vrat Puja Vidhi

मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) के दिन सुबह स्नान कर लें. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर पूजा स्थान को साफ करें. वहां एक चौकी स्थापित करें. उस पर लाल वस्त्र बिछाकर मां पार्वती और श्रीगणेश जी मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद माता को सुहाग की सामग्री, लहठी, मेवे, नारियल, लौंग, इलायची, सुपाड़ी और मिठाई अर्पित करें. पूजा करने व्रत कथा का पाठ करें. फिर मां पार्वती की आरती करें. इसके बाद लोगों के प्रसाद बांटे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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