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This Article is From Jul 08, 2022

Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा सोमवार शिवजी का आशीर्वाद पाने के लिए है बेहद खास, जानें पूजा विधि

Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन में सोम प्रदोष व्रत का खास संयोग बन रहा है. सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना जाता है.

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Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा सोमवार शिवजी का आशीर्वाद पाने के लिए है बेहद खास, जानें पूजा विधि
Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन के दूसरे सोमवार पर प्रदोष व्रत का खास संयोग बन रहा है.

Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन का पावन महीना शुरू होने वाला है. इस महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त सावन मास का प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat) पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ रखता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है. सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 जुलाई को पड़ रही है. इस दिन सोमवार होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. आइए जानते हैं सावन सोम प्रदोष व्रत कब है और पूजा विधि क्या है. 

सावन सोम प्रदोष व्रत तिथि | Sawan Som Pradosh Vrat 2022 Date

सावन (Sawan) में पड़ने वाले सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) का खास महत्व है. इस बार सावन के दूसरे सोमवार (Sawan Somvar) को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. ऐसे में इस दिन व्रत रखने से सावन के सोमवार और प्रदोष व्रत का एकसाथ लाभ प्राप्त होगा. सावन का प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को पड़ने वाला है. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 17 मिनट से रात 9 बजकर 21 मिनट तक है. इस दिन त्रयोदशी तिथि की शुरुआत शाम 4 बजकर 15 मिनट से हो रही है. जबकि त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 26 जुलाई को शाम 6 बजकर 46 मिनट पर होगी.

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि | Pradosh Vrat Puja Vidhi

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) के दिन सुबह उठकर शौच-स्नान आदि के निवृत होकर साफ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग पर जंगाजल, दूध या जल से अभिषेक किया जाता है. इसके साथ ही शिव जी को बेलपत्र, फूल, धतूरा, आक के फूल, अक्षत, फल और मिठाई इत्यादि अर्पित किए जाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखा जाता है. शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पर्वती की पूजा के बाद उनकी आरती की जाती है. साथ ही भोलेनाथ को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित की जाती है. इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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