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आकर्षण का केंद्र बने चाबी वाले बाबा, भव्य आयोजन के लिए सरकार को सराहा

दुन‍िया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा. शासन-प्रशासन द्वारा सारी तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है. यहां पर एक चाबी वाले बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जो अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर यात्रा करते हैं.

आकर्षण का केंद्र बने चाबी वाले बाबा, भव्य आयोजन के लिए सरकार को सराहा
दुन‍िया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा.

Kumbh 2025 : आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह तैयार है. देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर पहुंचना जारी है. वहीं, यहां पर हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा नाम के बाबा चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जो चाबी वाले बाबा के नाम से भी मशहूर हैं. बाबा अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर चलते हैं. उन्होंने भव्य धार्मिक आयोजन के लिए सरकार की तारीफ की. 

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दुन‍िया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा. शासन-प्रशासन द्वारा सारी तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है. यहां पर एक चाबी वाले बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जो अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर यात्रा करते हैं. उन्होंने इसको राम नाम की चाबी बताया है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले बाबा ने 16 साल की उम्र में ही घर का त्याग कर द‍िया था.

उन्होंने बताया कि "मेरे माता-पिता साधु थे. उन्होंने मुझे हरिश्चंद्र नाम दिया, उस नाम को जीने के लिए मैने यात्रा शुरू की. हरिश्चंद्र ने हमें राह दिखा दी, मैं उनका राही हूं. भारत और भारतीय का सच्चा सिपाही होने के नाते बचपन में ही मैंने घर छोड़ दिया. अपनी राह बनाने और सत्याचरण कर जीवन में मुक्तिधारा पाने की कोशिश की."

बाबा ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने के लिए घर का त्याग किया है. उन्होंने कहा, " मैंने बहुत सारी पदयात्राएं की हैं. कई सारी कठिनाइयों को झेलने के बाद सत्य की राह पर चल रहा हूं." उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी की तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरीके से 2025 महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, वह कहीं ना कहीं दिव्य और भव्य के साथ स्वच्छ और डिजिटल हो रहा है.

महाकुंभ आयोजन की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, बहुत अच्छा लग रहा है कि शासन-प्रशासन के लोग सनातनी विचारधारा रखते हैं. आयोजन को भव्यता देने के लिए जो भी कोशिश की जा सकती है, वो कर रहे हैं. वास्तव में यह एक मील का पत्थर साबित होगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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