Mahakal Corridor, Mahakal Lok, Mahakaleshwar Temple: भोलेनाथ का हर भक्त जीवन में कम से कम एक बार महाकाल का दर्शन जरूर करना चाहता है. महाकाल के भक्तों के लिए बेहद शुभ समाचार है. दरअसल विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल कॉरीडोर का उद्धाटन 11 अक्टूबर 2022 को हो गया है. प्रधानमंत्री बीते दिन भक्तों के लिए इस भव्य और दिव्य कॉरीडोर का लोकार्पण किया. जिसके बाद महाकाल कॉरीडोर भक्तों के दर्शन हेतु खुल गया है. हिंदू धर्म में महाकाल ज्योतिर्लिंग का खास महत्व है. विश्व में महाकाल मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है स्थापित ज्योतिर्लिंग दक्षिमावर्ती है यानी दक्षिण दिशा में इस ज्योतिर्लिंग का मुख है. बता दें कि इस मंदिर में तांत्रिक विधि से महाकाल की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं महाकाल कॉरीडोर के बारे में खास बातें.
किसने की महाकाल मंदिर कि स्थापना
पुराणों के अनुसार महाकाल मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की थी. कहा जाता है कि इस मंदिर की नींव और चबूतरा विशेष पत्थरों के बना हुआ है. गुप्त काल के दौरान इस मंदिर यह मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था. हालांकि बाद के समय में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और काफी कुछ परिवर्तन भी हुआ, लेकिन मंदिर के शिवलिंग में कोई परिवर्तन नहीं किया गया.
ऐसे है भव्य महाकाल मंदिर का परिसर
उज्जैन में स्थित महाकाल का यह मंदिर तीन मंजिला है. इस मंदिर के सबसे नीचे तल पर महाकालेश्वर विरामान हैं. मंदिर के मध्य भाग में ओंकारेश्वर और सबसे ऊपर नागचंद्रेश्वर शिवलिंग स्थापित है. बता दें कि मंदिर परिसर में कोटि तीर्थ नामक एक विशाल कुंड भी स्थापित है. जिसकी शैली सर्वतोभद्र है. वहीं कुंड के पूरब में एक विशाल बारामदा है जो कि गर्भगृत तक ले जाता है. इससे अलावा इस कुंड के उत्तरी हिस्से में एक कोठरी है जिसमें मां अवंतिका और श्रीराम की पूजा की जाती है.
महाकालेश्वर लिंगम की विशेषता
महाकालेश्वर लिंगम देखने में बेहद भव्य है. मंदिर के शिवलिंग की जलधरी और गर्भगृह का छत चांदी से मढा हुआ है. मंदिर में ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश सहित मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान है. गर्भगृह में दीवारों पर शिवजी की स्तुति उकेरी गई है. यहां नदां दीप हमेशा जलती रहती है. मंदिर के बाहर निककने के क्रम में एक हॉल में नदी विराजमान हैं.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में सुबह की भस्म आरती की जाती है. इसके साथ ही महाशिवरात्रि, पंच-क्रोसी यात्रा, सोमवती अमावस्या आदि मंदिर के अनुष्ठानों के साथ जुड़े विशेष धार्मिक अवसर हैं. कुंभ के दौरान मंदिर-परिसर की उचित मरम्मत और जीर्णोद्धार किया जाता है. साल 1980 में यात्रियों की सुविधा के लिए एक अलग मंडपम का निर्माण किया गया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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