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This Article is From Dec 26, 2022

Magh Month 2023: माघ का महीना कब से हो रहा है शुरू, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Magh Month Starting Date 2023: माघ हिंदू कैलंडर का 11वां महीना होता है. इस बार 7 जनवरी 2023 से माघ मास की शुरुआत हो रही है.

Magh Month 2023: माघ का महीना कब से हो रहा है शुरू, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
Magh Month 2023: माघ मास में गंगा स्नान और दान का खास महत्व है.

Magh Snan Ganga Stotra: हिंदी कैलेंडर से मुताबिक पौष माह से बाद माघ की शुरुआत होती है. जो कि हिंदू साल का 11वां महीना है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं और धर्म शास्त्रों में माघ महीने को बेहद पवित्र और मोक्षदायक कहा गया है. इसके साथ ही माघ का महीना भगवान सूर्य, मां गंगा और भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है. ऐसे में इन दिनों में स्नान, दान और तप का खास महत्व है. आइए जानते हैं कि माघ का महीना कब से शुरू हो रहा है और इस दौरान क्या करना शुभ होता है. 

ज्योतिष शास्त्र में इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. वहीं, भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस माह में पवित्र नदी में स्नान करते समय या फिर गंगा में स्नान करते समय गंगा स्तुति और गंगा स्त्रोत का पाठ करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

कब से शुरू हो रहा है माघ

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ का महीना पौष के बाद आता है. यह साल का 11वां महीना होता है. इस महीने में गंगा नदी में स्नान और दान का खास महत्व है. इस बार माघ का महीना 7 जनवरी 2023 से शुरू हो रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में मां गंगा, भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा विशेष शुभ फलदायी होती है. इस महीने में गंगा स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है. आगे जानते हैं गंगा स्तुति से बारे में.

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गंगा जी की स्तुति | Ganga Ji Stuti

गगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम् 

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् 

माँ गंगा स्तोत्रम्

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे

त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे 

शङ्करमौलिविहारिणि विमले

मम मतिरास्तां तव पदकमले 

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव

जलमहिमा निगमे ख्यातः 

नाहं जाने तव महिमानं

पाहि कृपामयि मामज्ञानम् 

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे

हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे 

दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं

कुरु कृपया भवसागरपारम् 

तव जलममलं येन निपीतं

परमपदं खलु तेन गृहीतम् 

मातर्गङ्गे त्वयि यो भक्तः

किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः 

पतितोद्धारिणि जाह्नवि गङ्गे

खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे 

भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये

पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये 

कल्पलतामिव फलदां लोके

प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके 

पारावारविहारिणि गङ्गे

विमुखयुवतिकृततरलापाङ्गे 

तव चेन्मातः स्रोतःस्नातः

पुनरपि जठरे सोऽपि न जातः 

नरकनिवारिणि जाह्नवि गङ्गे

कलुषविनाशिनि महिमोत्तुङ्गे 

पुनरसदङ्गे पुण्यतरङ्गे

जय जय जाह्नवि करुणापाङ्गे 

इन्द्रमुकुटमणिराजितचरणे

सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये 

रोगं शोकं तापं पापं

हर मे भगवति कुमतिकलापम्

त्रिभुवनसारे वसुधाहारे

त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे

अलकानन्दे परमानन्दे

कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये 

तव तटनिकटे यस्य निवास

खलु वैकुण्ठे तस्य निवास

वरमिह नीरे कमठो मीनः

किं वा तीरे शरटः क्षीणः 

अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव

न हि दूरे नृपतिकुलीनः

भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये

देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये 

गङ्गास्तवमिमममलं नित्यं

पठति नरो यः स जयति सत्यम्

येषां हृदये गङ्गाभक्तिस्तेषां

भवति सदा सुखमुक्तिः 

मधुराकान्तापज्झटिकाभिः

परमानन्दकलितललिताभिः 

गङ्गास्तोत्रमिदं भवसारं

वाञ्छितफलदं विमलं सारम् 

शङ्करसेवकशङ्कररचितं पठति

सुखी स्तव इति च समाप्तः 

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देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे

त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे 

शङ्करमौलिविहारिणि विमले

मम मतिरास्तां तव पदकमले 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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