16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) मनाई जा रही है और इसी दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी है. एक तरफ जहां देशभर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. वहीं, चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) के कारण पूजा-पाठ सूतक काल से पहले की जाएंगी. बता दें, हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता और चार वेदों के व्याख्याता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी कि महर्षि वेद व्यास (Ved Vyas) का जन्म हुआ था. इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. यहां जानिए चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2019) के कारण लगते वाले सूतक काल के समय और गुरु पूर्णिमा की पूजा-विधि (Guru Purnima Puja Vidhi) को.
ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय
शास्त्रों के नियम के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है. तो इस हिसाब से सूतक 16 जुलाई को शाम 4 बजकर 31 मिनट से ही शुरू हो जाएगा. ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा विधिवत कर लें. सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है. सूतक काल लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाएंगे.
ग्रहण काल आरंभ: 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट
ग्रहण काल का मध्य: 17 जुलाई की सुबह 3 बजकर 1 मिनट
ग्रहण का मोक्ष यानी कि समापन: 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट
चंद्र ग्रहण का समय
इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी है. यह ग्रहण (Grahan) कुल 2 घंटे 59 मिनट का होगा. भारतीय समय के अनुसार चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा और 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इस दिन चंद्रमा पूरे देश में शाम 6 बजे से 7 बजकर 45 मिनट तक उदित हो जाएगा इसलिए देश भर में इसे देखा जा सकेगा.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
हिन्दू धर्म में गुरु को भगवान से ऊपर दर्जा दिया गया है. गुरु के जरिए ही ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है. ऐसे में गुरु की पूजा भी भगवान की तरह ही होनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा के दिन आप इस तरह अपने गुरु की पूजा कर सकते हैं:
- गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं.
- इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'.
- पूजा के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें.
- अगर गुरु सामने ही हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं. उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें.
- अब उन्हें भोजन कराएं.
- इसके बाद दक्षिण दें और पैर छूकर विदा करें.
- इस दिन आप ऐसे किसी भी इंसान की पूजा कर सकते हैं जिसे आप अपना गुरु मानते हों. फिर चाहे वह ऑफिस के बॉस हों, सास-ससुर, भाई-बहन, माता-पिता या दोस्त ही क्यों न हों.
- अगर आपके गुरु का निधन हो गया है तो आप उनकी फोटो की विधिवत् पूजा कर सकते हैं.
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