धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में ये ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं. भगवान शिव के इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirling), जिसकी महिमा विशेष है. यह भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग माना जाता है. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और स्मरण करने मात्र से कष्ट दूर हो जाते हैं. यह पवित्र स्थान महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है. यह गांव सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है.
बता दें कि इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है. यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है. इस मंदिर की बहुत सारी विशेषताएं हैं. खास बात ये है कि ये मंदिर 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. मान्यता है कि भगवान शिव यहां पर निवास करते हैं. भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर (Bhimashankar Jyotirling Shiva Temple) का छठा स्थान है
ऐसे पड़ा भीमशंकर नाम, पढ़ें कथा | Bhimashankar Jyotirlinga Story
पौराणिक कथा के अनुसार, सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नामक राक्षसी से रावण के भाई कुंभकरण की मुलाकात हुई. इस बीच दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद रावण का भाई कुंभकरण लंका वापस आ गया, लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रह गई. इस बीच कर्कटी ने एक पुत्र को जन्म दिया. कर्कटी और कुंभकरण के इस पुत्र का नाम भीम रखा गया. एक समय प्रभु श्री राम ने कुंभकरण का वध कर दिया. इस बीच कर्कटी ने अपने पुत्र भीम को देवताओं से दूर रखने का फैसला किया. इस दौरान भीम बड़ा हो रहा था और पिता कुंभकरण की मृत्यु का बदला लेने के लिए व्याकुल हो रहा था. इस बीच भीम ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे ताकतवर होने का वरदान प्राप्त किया.
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वहीं, एक राजा कामरुपेश्वर थे, जो भगवान शिव के भक्त थे. एक दिन भीम ने राजा को भगवान शिव की पूजा करते देख लिया और राजा को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया, लेकिन राजा कारागार में भी शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करता रहा. जब भीम को इस बात का पता चला, तो उसने तलवार की मदद से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव स्वयं प्रकट हो गए. इस दौरान भीम और शिव जी के बीच भंयकर युद्ध हुआ. अंत में शिव जी ने भीम का वध कर दिया. फिर देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उसी स्थान पर रहें. देवताओं के कहने पर भगवान शिव उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए. भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पड़ा.
माता पार्वती का कमलजा नामक मंदिर भी है यहां
भीमशंकर मंदिर की स्थापना से पहले ही शिखर पर देवी पार्वती का एक मंदिर है. इसे कमलजा मंदिर के नाम से जाना जाता हैं. शास्त्रों के अनुसार, इसी स्थान पर देवी ने राक्षस त्रिपुरासुर से युद्ध में भगवान शिव की सहायता की थी. तथा युद्ध के बाद भगवान ब्रह्मा ने देवी पार्वती की कमलों से पूजा की थी.
कई कुंड स्थित है मंदिर के पास
यहां के मुख्य मंदिर के पास कई कुंड भी स्थित हैं, जिनमें मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड और कुषारण्य कुंड विशेष हैं. इनमें से मोक्ष नामक कुंड को महर्षि कौशिक से जुड़ा हुआ माना जाता है और कुशारण्य कुंड से भीम नदी का उद्गम हुआ हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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