देश भर में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं. इनमें से एक है काशी विश्वनाथ मंदिर, जो भगवान शिव का प्रसिद्ध और सातवां ज्योतिर्लिंग हैं.काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव स्वयं विराजते हैं. धर्म और आस्था का एक प्रमुख केंद्र है. काशी नगरी देश की प्राचीन नगरी में से एक हैं. मान्यता है कि भगवान शिव (Shiv) के इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज हम इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से भगवान शिव के सातवें ज्योतिर्लिंग माने जाने वाले इस स्थान के बारे में आपको बताने जा रहे है.
12 Jyotirlingas Of Lord Shiva: ये हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग, दर्शन करने जरूर जाएं
सोमवार का पावन दिन देवो के देव महादेव (Lord Mahadev) को समर्पित होता है, इसलिए भोलेनाथ (Bholenath) को सोमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि अगर सोमवार के दिन सच्चे मन से शिव जी की पूजा की जाए तो भगवान भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे तो सालभर भगवान शिव (Lord Shiva) के पावन धामों में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन माना जाता है कि सोमवार के दिन ज्योतिर्लिंग के स्मरण और पूजा से कई गुना पुण्य मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. देश के अलग- अलग हिस्सों में ये ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) स्थापित हैं. ऐसा माना जाता है कि इन स्थानों पर भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं. हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने का विशेष महत्व माना जाता है.
सोमवार के दिन करें भोलेनाथ की पूजा | Worship Bholenath On Monday
माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भगवान खुश होकर भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. शिवजी की पूजा करते समय शिव चालीसा या शिवाष्टक का पाठ जरूर करना चाहिए. आज के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त सच्चे मन से व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वहीं, कुंवारी कन्याओं के लिए 16 सोमवार का व्रत काफी उत्तम माना जाता है.
भगवान शिव का सातवां ज्योतिर्लिंग | Seventh Jyotirlinga Of Lord Shiva
माना जाता है कि भगवान शिव का सातवां ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस में स्थित है. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर बनारस में गंगा नदी के पश्चिम तट पर स्थित है. काशी भगवान शिव और माता पार्वती का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है. यहां महादेव के दर्शन से पहले भैरव जी के दर्शन करना जरूरी माना जाता है, इसके पीछे मान्यता है कि भैरव जी के दर्शन किए बगैर विश्वनाथ के दर्शन का लाभ नहीं मिलता है. मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु ने भी काशी में ही तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था. माना जाता है कि श्रावण मास में भगवान शिव पृथ्वीलोक भ्रमण करते हैं, इस दौरान वे काशी भी आते हैं, लेकिन काशी का महादेव के परिपेक्ष में एक दूसरा वृहद महत्व है.
काशी से जुड़ी मान्यता | Beliefs related to Kashi
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता यह भी है कि भगवान महादेव खुद यहां मरते हुए व्यक्ति के कानों में तारक मंत्र का उपदेश सुनाते हैं. मत्स्य पुराण में भी यह वर्णित है. इसके चलते पूरे देश से लोगों अपने मृत हो चुके परिजनों की अस्थियां आदि विसर्जित करने काशी आते हैं. विदेश से भी सनातन धर्म के प्रति रूझान रखने वाले लोग काशी आते हैं. मान्यता है कि प्रलय आने पर भी कभी काशी का कभी लोप नहीं हुआ, ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही भोलेनाथ खुद काशी को अपने त्रिशूल पर उठा लेते हैं, इस तरह काशी की सुरक्षा बच जाती है. प्रलय शांत होने पर शिवजी काशी को वापस नीचे उतार देते हैं, इसीलिए कहा जाता है कि काशी के कण-कण में भगवान शिव विराजमान है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
Asanas for Lungs, Breathing Problem | 5 योगासन जो फेफड़े बनाएंगे मजबूत
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं