
Lord Krishna Sudarshan Chakra: सनातन परंपरा में शास्त्र के साथ शस्त्र की बड़ी परंपरा है. यही कारण है जितने भी देवी-देवता हैं, वे सभी कोई न कोई शस्त्र धारण करते रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण भी अपनी कनिष्ठका अंगुली में सुदर्शन नाम चक्र को धारण करते थे. जिसके कारण उन्हें चक्रधारी भी कहा जाता है. भगवान श्री कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र कैसे मिला? इस सुदर्शन चक्र की क्या खासियत थी और श्री कृष्ण ने इसका कब-कब उपयोग किया, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
कैसा था श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र अकाट्य था. 109 तीलियों वाले सुदर्शन चक्र को जब भगवान श्री कृष्ण चलाते थे तो वह तेजी से घूमता हुआ शत्रुओं का नाश करने के बाद वापस उनकी अंगुली में आ जाता था. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को यह सुदर्शन चक्र द्वापर युग में परशुराम (Parshuram) ने दिया था. हालांकि मान्यता ये भी है कि यह चक्र उनके पास जन्म से मौजूद था. भगवान श्री कृष्ण समय-समय पर इसका प्रयोग धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए किया. वेदों में इसे भगवान श्री विष्णु का प्रतीक माना गया है. जिस सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु अपनी तर्जनी अंगुली में धारण करते हैं, उसी को उनके पूर्णावतार श्री कृष्ण अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर धारण किया करते थे.
कृष्ण ने कब-कब चलाया सुदर्शन चक्र
पौराणिक कथाओं में भगवान श्री कृष्ण द्वारा कई बार सुदर्शन चक्र चलाने का वर्णन मिलता है. मान्यता है कि जब राजसूय यज्ञ के समय शिशुपाल (Shishupal) ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान करते हुए अपशब्द शब्द कह रहा था, लेकिन वे उसकी 100 गालियों तक चुप रहे क्योंकि उन्होंने अपनी बुआ जो कि वासुदेव की बहन थीं उन्हें वचन दिया था कि वे उसके 100 अपराध क्षमा कर देंगे. लेकिन जब उनके फुफेरे भाई शिशुपाल ने इसके बाद भी उनका अपमान करना शुरु किया तो उन्होंने अपना सुदर्शन चक्र चलाकर उसका वध कर दिया.
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मान्यता है कि शिशुपाल का सुदर्शन चक्र करते समय उनकी अंगुली में जब चोट आ गई और उससे खून बहने लगा तो द्रौपदी ने अपना आंचल फाड़कर उस पर बांध दिया था. इस प्रसंग को रक्षाबंधन से भी जोड़कर देखा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल वध के अलावा नरकासुर (Narkasur) राक्षस का वध करने के लिए भी सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया था.
तब सुदर्शन चक्र से ढंक दिया था सूर्य
महाभारत युद्ध के 14वें दिन जब अर्जुन (Arjun) ने प्रतिज्ञा ले ली कि अगर वे सूर्यास्त से पहले वे अपने पुत्र अभिमन्यु (Abhimanu) की हत्या करने वाले जयद्रथ (Jayadratha) वध नहीं कर पाए तो समाधि ले लेंगे. इसके बाद दुर्योधन की पूरी सेना उसे बचाने के लिए सुरक्षा में लग गई. शाम होने तक जब अर्जुन जयद्रथ का वध न कर पाने के कारण निराश होने लगे तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से सूर्य को ढंक दिया. चूंकि सूर्यास्त के बाद कोई किसी से युद्ध नहीं कर सकता था, इसलिए जयद्रथ अर्जुन के सामने आकर खुशी मनाने लगा. तभी श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र सूर्य से हटा लिया और अर्जुन ने मौका पाकर उसका वध कर दिया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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