कड़ी सुरक्षा और प्रतिमाओं को छूने की पाबंदी के बीच भगवान जगन्नाथ के स्नान का अनुष्ठान पूरी जगन्नाथ मंदिर में पूरे रीति रिवाज से हजारों लोगों की मौजूदगी में मनाया गया. तीनों देवी-देवताओं- भगवान जगन्नाथ, भगवना बलभद्र और देवी सुभद्रा- की ‘स्नान यात्रा’ के हजारों लोग गवाह बने. ‘स्नान मंडप’ में पुजारियों ने 108 घड़े अभिमंत्रित जल से उन्हें स्नान कराया.
स्नान का यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ कि वार्षिक ‘रथ यात्रा’ से जुड़ा है. माना जाता है कि ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन ही भगवान जगन्नाथ का जन्म हुआ था.
स्कंध पुराण में कहा गया है कि राजा इंद्रयुमना ने भगवान की लकड़ी की प्रतिमायें स्थापित की थीं और 12वीं शताब्दी के इस मंदिर में उनकी पूजा करने से पहले उन्हें स्नान कराते थे. भगवान के स्नान को ओडिशा में मानसून के आगमन का संकेत भी माना जाता है.
न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट
स्नान का यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ कि वार्षिक ‘रथ यात्रा’ से जुड़ा है. माना जाता है कि ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन ही भगवान जगन्नाथ का जन्म हुआ था.
स्कंध पुराण में कहा गया है कि राजा इंद्रयुमना ने भगवान की लकड़ी की प्रतिमायें स्थापित की थीं और 12वीं शताब्दी के इस मंदिर में उनकी पूजा करने से पहले उन्हें स्नान कराते थे. भगवान के स्नान को ओडिशा में मानसून के आगमन का संकेत भी माना जाता है.
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