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Kojagara Puja 2025: कोजागिरी पूर्णिमा पर कब और कैसे करें पूजा, जानें पूजा विधि, कथा एवं शुभ मुहूर्त

Kojagiri Purnima 2025: आश्विन मास की पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा या फिर कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं, उस दिन मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? इस दिन देवी लक्ष्मी के व्रत और मंत्र जप करने का क्या फल मिलता है? कोजागरी पूजा की विधि, उपाय और धार्मिक महत्व को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Kojagara Puja 2025: कोजागिरी पूर्णिमा पर कब और कैसे करें पूजा, जानें पूजा विधि, कथा एवं शुभ मुहूर्त
Kojagiri purnima 2025: कोजागिरी पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
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Sharad Purnima 2025, Kojagar Puja: सनातन परंपरा में आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार कोजागर पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. मान्यता यह भी है कि इस दिन देवी पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए निकलती हैं. ऐसे में दिवाली से पहले धन की देवी मां लक्ष्मी को मनाने और उनकी कृपा पाने के लिए यह दिन बेहद खास होता है. मान्यता है कि इस दिन धन की देवी की विधि-विधान से पूजा, जप और व्रत करने से साधक को धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए कोजागिरी पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं.

कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार जिस आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की कोजागर पूजा की जाती है वह 06 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे से प्रारंभ होकर 07 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 09:16 बजे तक रहेगी. ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा दिलाने वाला यह व्रत और इससे जुड़ी पूजा आज 06 अक्टूबर 2025 को किया जाएगा. आज कोजागर पूजा के लिए निशिता काल रात्रि 11:45 से प्रारंभ होकर 07 अक्टूबर 2025 को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक रहेगा.

कोजागिरी पूर्णिमा व्रत विधि

हिंदू मान्यता के अनुसार धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा एवं व्रत को रखने के लिए इस दिन साधक को तन और मन से पवित्र होने के बाद माता लक्ष्मी के व्रत का संकल्प करना चाहिए. मां लक्ष्मी की विशेष पूजा रात्रि को निशीथ काल में करें. इस दिन देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को अपने मंदिर में स्थापित करके उनकी धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, कमल गट्‌टे, कौड़ी, पान, सुपारी, सिंघाड़ा, इलायची आदि अर्पित करते हुए विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.

Maa Laxmi ki Aarti in Hindi: धन की देवी को मनाने के लिए आज कोजागरी पूर्णिमा पर जरूर करें मां लक्ष्मी की आरती

रात्रि के समय चंद्रमा की रोशनी से बरसने वाली अमृत किरणों का पुण्यफल पाने के लिए खुले आसमान के नीचे दूध और चावल से बनी खीर रखें और मां लक्ष्मी को भोग के रूप में लगाएं. इसके बाद मां लक्ष्मी के लिए शुद्ध घी के 11 दीये जलाकर ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का कम से कम एक माला जप करें. कोजगरी पूर्णिमा के दिन साधक को माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टकं, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. चंद्र देवता को चढ़ाए गये प्रसाद को अगले दिन सभी को बांटकर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए.

कोजागरी पूर्णिमा व्रत की कथा

हिंदू मान्यता के अनुसार एक साहूकार दो बेटियों थीं. दोनों ही हर पूर्णिमा पर विधि-विधान से व्रत रखा करती थीं. उसकी बड़ी बेटी पूरा व्रत रखती लेकिन छोटी वाली अधूरा ही किया करती. मान्यता है कि इस दोष के कारण उसकी संतान पैदा होते ही खत्म हो जाती थी. तब उसने मंदिर के पुजारी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पूर्णिमा के अधूरे व्रत के कारण ही तुम्हे ये कष्ट मिल रहा है. उसके बाद उसने पुजारी की सलाह पर उसने विधि-विधान व्रत किया. जिससे उसे पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन वह भी कुछ दिनों तक ही जीवित रहा और उसकी मृत्यु हो गई. 

तब उसने अपने मृत बेटे के उपर पीढ़ा रखकर उसे कपड़े से ढंक दिया और अपनी बड़ी बहन को बुलाकर उस पर बैठने के लिए बोला. जब बड़ी बहन उसमें बैठने चली तो उसका लहंगा बच्चे को स्पर्श कर गया. मान्यता है कि उसके स्पर्श करते ही बच्चा रोने लगा. तब उसकी बड़ी बहन ने उसे डांटते हुए कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. तब उसने बताया कि यह तो पहले से मृत था लेकिन तुम्हारे व्रत के पुण्य प्रताप से दोबारा जीवित हो गया. उसके बाद साहूकार की छोटी बेटी ने पूर्णिमा व्रत की महिमा का गान करने के पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवाया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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