हर माह के दोनों पक्षों में पड़ने वाली त्रयोदशी (Trayodashi Tithi) को भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) रखा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि जो जातक हर महीने प्रदोष व्रत रखते हैं और विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन करते हैं, उन पर भगवान शंकर की विशेष कृपा बनी रहती है, इसके अलावा मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. नए साल 2022 (New Year 2022) में शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) तीन दिन है. इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव (Lord Shiva Puja) के साथ-साथ शनिदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त | Pradosh Vrat 2022 Date and Shubh Muhurt
- पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जनवरी, शनिवार 2022 के दिन है.
- पौष शुक्ल त्रयोदशी कब शुरू- 14 जनवरी को रात 10:19 बजे,
- पौष शुक्ल त्रयोदशी कब समाप्त होगी- 16 जनवरी सुबह 12:57 बजे.
- इस दौरान व्रती भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं.
- बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल शुरू होने का समय- शाम 05:46 से रात 08:28 बजे तक.
प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि | Pradosh Vrat Pujan Vidhi
- प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- व्रत के एक दिन पूर्व से ही तामसिक भोजनों का त्याग कर देना चाहिए. मन, तन और वचन से शुद्ध होना चाहिए.
- उसके बाद हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत एवं शिव पूजा का संकल्प करें.
- भगवान शिव और उनके परिवार की फोटो रखें.
- इसके बाद घर के मंदिर में ही दीप प्रज्वलित करें.
- भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर, पुष्प अर्पित करें.
- संभव हो तो इस दिन किसी शिव मंदिर में जाएं या फिर घर पर ही भगवान शिव को गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें.
- भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ मां पार्वती (Maa Parvati) और गणेश जी की पूजा (Ganesha Ji Puja) भी करें.
- इसके बाद उनको सफेद चंदन लगाएं. फिर बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, शहद, धूप, दीप, गंध, वस्त्र आदि अर्पित करें.
- पूजा के समय ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें.
- भगवान शिव को भोग लगाएं.
- प्रदोष व्रत के दिन इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को शिव को सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं.
- अब शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.
- अंत में भगवान शिव का घी के दीपक या कपूर से आरती करें. कहते हैं इस दिन भगवान शिव ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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