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Kawad yatra tithi 2025 : सावन में कब से शुरू हो रही कावड़ यात्रा, जानिए यहां

माना जाता है कि सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत शिवजी के भक्त भगवान परशुराम ने की थी. तब से ही यह परंपरा चली आ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कांवड़ यात्रा कब से शुरू हो रही है.

Kawad yatra tithi 2025 : सावन में कब से शुरू हो रही कावड़ यात्रा, जानिए यहां
kawad yatra 2025 : कांवड़ यात्रा के दौरान शराब, पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू जैसे सभी तरह के नशीले पदार्थों से दूरी बना लेनी चाहिए.

Sawan kawad yatra 2025 : सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है. यह महीना शिव जी की भक्ति के लिए अच्छा माना जाता है. इस महीने में सावन के पांच सोमवार व्रत रखने के अलावा भक्त कांवड़ यात्रा पर भी निकलते हैं. इस यात्रा में कांवड़िये हरिद्वार और गंगोत्री जैसे तीर्थस्थलों का पवित्र गंगाजल लेकर अपने गृहनगर के शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यता है इससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. माना जाता है कि सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत शिवजी के भक्त भगवान परशुराम ने की थी. तब से ही यह परंपरा चली आ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कांवड़ यात्रा कब से शुरू हो रही है.

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कांवड़ यात्रा 2025 कब से शुरू होगी 

हिन्दू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. इस साल सावन की शरूआत 11 जुलाई से शुरू हो रही है और 9 अगस्त को समाप्त. ऐसे में कांवड़ यात्रा 11 जुलाई शुरू हो जाएगी, जोकि 30 दिन तक चलेगी. 

यात्रा के दौरान श्रद्धालु हरिद्वार, ऋषिकेश, गोमुख, सुल्तानगंज जैसे पवित्र स्थानों से नदी का जल भरकर कई किलोमीटर की लंबी दूरी नंगे पैर तय करके गंतव्य स्थान (शिव मंदिर या शिवालय) तक पहुंचकर इस मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.

कांवड़ यात्रा के जरूरी नियम - Kanwar Yatra Niyam

कांवड़ यात्रा के दौरान शराब, पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू जैसे सभी तरह के नशीले पदार्थों से दूरी बना लेनी चाहिए.
अगर एक बार आपने कांवड़ यात्रा की शुरुआत कर दी तो कांवड़ को जमीन पर न रखें. इससे आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है. आप अगर मल-मूत्र के लिए जा रहे हैं तो इसे किसी ऊंचे स्थान पर रखकर जाएं.

अगर आपने गलती से जमीन पर कांवड़ रख दिया तो फिर से जल भरकर यात्रा की शुरुआत करनी होती है. यात्रा के दौरान कांवड़िये जब भी मल-मूत्र का त्याग करें तो स्नान के बाद ही कांवड़ को स्पर्श करें. बिना स्नान के कांवड़ को दोबारा नहीं छूना चाहिए. यह अपवित्र हो जाता है. 

वहीं, कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को ऐसी कोई भी वस्तु स्पर्श नहीं करनी चाहिए, जोकि चमड़े से बनी हो.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


        

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