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Karwa Chauth 2024: पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ के दिन सुनना न भूलें ये कथा, मिलता है सौभाग्यवती का वरदान!

Karwachauth katha : यूं तो करवा चौथ की एक नहीं कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन कुछ कथाओं का महत्व काफी ज्यादा है. आइए जानते हैं इस दिन कौन-कौन सी कथाएं महिलाओं को सुनने चाहिए..

Karwa Chauth 2024: पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ के दिन सुनना न भूलें ये कथा, मिलता है सौभाग्यवती का वरदान!
यूं तो करवा चौथ की एक नहीं कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन कुछ कथाओं का महत्व काफी ज्यादा है.

Karwa Chauth 2024 : पति की लंबी उम्र और सौभाग्य, अच्छी सेहत के लिए इस बार 20 नवंबर को महिलाएं करवा चौथ का रखेंगी. इस व्रत में पूरे दिन न पानी पीया जाता है और ना ही कुछ खाया जाता है. इस दिन करवा माता की पूजा और कथा सुनी जाती है. यूं तो करवा चौथ की एक नहीं कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन कुछ कथाओं का महत्व काफी ज्यादा है. आइए जानते हैं इस दिन कौन-कौन सी कथाएं महिलाओं को सुनने चाहिए..

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करवा चौथ व्रत की पहली कथा

पौराणिक कथा (Karwa Chauth Katha) है कि करवा देवी अपने पति के साथ एक गांव में तुंगभद्रा नदी किनारे रहती थीं. एक बार उनके पति नदी में स्नान करने गए, तब मगरमच्छ ने उन्हें खींच लिया. वह जोर-जोर से पत्नी को पुकारने लगे. पति की चीख सुन करवा नदी किराने पहुंच गई. पति की जान बचाने के लिए उन्होंने एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया, जिससे मगरमच्छ की हालत बिगड़ गई और वह टस से मस तक नहीं हो पा रहा था. तभी करवा ने यमराज का आह्वान किया और पति को जीवनदान के साथ मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की मांग की. तब यमराज जी ने उन्हें बताया कि वह ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पति की मृत्यु का समय निकल गया है और मगरमच्छ की उम्र अभी बची है. यमराज की इस बात से करवा को गुस्सा आ गया और यम को ही श्राप देने लगीं. करवा के पतिव्रता धर्म देख यमराज प्रसन्न हो गए और उनके पति के प्राण बख्श कर जीवनदान दिया, साथ ही मगरमच्छ को मृत्यु की प्राप्ति हुई. मान्यता है कि ये पूरी ही घटना कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुई थी, जिसके बाद से ही सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश-कार्तिकेय और करवा माता की पूजा करती हैं. 

करवा चौथ की दूसरी कथा

इन्द्रप्रस्थपुर नाम के एक शहर में एक साहुकार अपनी पत्नी लीलावती,  7 पुत्र-बहुओं और वीरावती नाम की पुत्री के साथ रहता था. एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को लीलावती, उसकी सातों बहुएं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था. रात में जब साहूकार के सभी लड़के भोजन पर बैठे तो बहन से भी साथ भोजन करने को कहा. इस पर बहन ने चांद को अर्घ्य देकर ही भोजन करने की बात कही. सभी भाई बहन से प्यार करते थे तो बहन को भूखा देख उनका मन विचलित हो गया. वे सभी शहर के बाहर चले गए और एक पेड़ पर चढ़कर आग जला दी. घर वापस आकर बहन से कहा कि देखो जांच निकल आया है, अब अर्घ्य देकर भोजन करो. जब वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ आने को कहा तो उन्होंने सच्चाई बता दी, कि उसके भाईयों ने क्या किया है लेकिन उसे उनकी बात पर भरोसा नहीं हुआ और भाईयों की बात मानकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया. जैसे ही वीरावती ने भोजन शुरू किया, उसे अशुभ संकेत मिलने लगे. पहले निवाले के साथ बाल मिला, दूसरें पर उसे छींक आई, तीसरे में ससुराल से बुलावा आ गया. जब वह अपने ससुराल पहुंची तो पति को मृत पाया. पति की मृत्यु ने उसे झकझोर कर रख दिया. वह अपनी भूल के लिए खुद को दोषी मानने लगी. उसका विलाप इतना भयानक था कि भगवान इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी वीरावति को सांत्वना देने वहां पहुंच गईं. उन्होंने करवा चौथ के व्रत के साथ ही हर माह में पड़ने वाले चौथ व्रत की सलाह दी. बताया कि ऐसा करने से पति जीवित हो जाएंगे. वीरावती ने ऐसा ही किया. इसके बाद से ही महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती आ रही हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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