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This Article is From Oct 12, 2022

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर महिलाएं छलनी से क्यों देखती हैं पति का चेहरा, यहां जानें वजह और महत्व

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ व्रत में छलनी का खास महत्व होता है. मान्यता है कि इसके बिना करवा चौथ का व्रत पूरा नहीं होता. जानें करवा चौथ व्रत में महिलाएं छलनी से पति का चेहरा क्यों देखती हैं.

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ पर महिलाएं छलनी से क्यों देखती हैं पति का चेहरा, यहां जानें वजह और महत्व
Karwa Chauth 2022: करवा चौथ व्रत में इस वजह से महिलाएं छलनी से पति का चेहरा देखती हैं.

Karwa Chauth 2022 Sieve Importance: करवा चौथ का व्रत हर सुहिगिन महालिओं के लिए एक अनुष्ठान की तरह होता है. इस महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही सौभाग्य प्राप्ति की कामना से पूजा-पाठ करती हैं. करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना पानी और अन्न ग्रहण किए किया जाता है. इसके साथ ही इस व्रत में छलनी से पति का चेहरा देखने का खास विधान है. मान्यतानुसार, करवा चौथ का व्रत तभी पूरा होता है जब महिलाएं छलनी से अपने पिता का चेहरा देखती हैं. क्या आपकों पता है कि इस दिन छलनी से पति का चेहरा देखना क्यों जरूरी होता है. आखिर इस रस्म के पीछे की वजह क्या है. चलिए जानते हैं कि करवा चौथ व्रत में महिलाएं छलनी से अपने पति का चेहरा क्यों देखती हैं और इसका क्या धार्मिक महत्व है. 

पूजा की थाली में छलनी होती है जरूरी 

करवा चौथ पर पूजा की थाली में छलनी का खास महत्व होता है. इस दिन जब महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं तो उसमें छलनी का होना जरूरी होता है. इस छलनी को कई प्रकार से सजाया जाता है. साथ ही पूजा के बाद महिलाएं इसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं. इसके बाद करवा चौथ का व्रत पूरा होता है. कई जगहों पर छलनी में दीपक रखकर भी पति का चेहरा देखने की परंपरा है. ऐसे करने के बाद पति अपने हाथों से पानी पिलाते हैं. जिसके बाद व्रत पूरा होता है. इसके अलावा कई स्थानों पर छलनी से चांद को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है. यही कारण है कि करवा चौथ व्रत में छलनी का खास महत्व होता है. 

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करवा चौथ व्रत में छलनी का ये है महत्व

दरअसल करवा चौथ व्रत में छलनी का इस्तेमाल करने के पीछे एक कथा आती है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक पतिव्रता जिसका नाम वीरवती था, उसके 7 भाई थे. कहते हैं कि जिस वर्ष वीरवती का विवाह हुए उसी साल वह करवा चौथ का व्रत रखीं. व्रत पहली बार था, इसलिए उससे भूख बर्दाश्त ना हुई. वह अपने सात भाईयों की अकेली लाडली बहन थी. इसलिए भाईयों को उसकी ऐसी दशा देखी ना गई. ऐसे भाईयों ने चांद निकलने के पूर्व ही एक पेड़ पर बैठकर उसके भाई ने छलनी के पीछे दीपक रखकर बहन से कहा कि देखो चांद निकल गया है. वीरवती ने उस छलनी के पीछे वाले दीपक को ही चांद समझकर करवा चौथ का व्रत का समापन कर पारण कर लिया. कहते हैं कि वीरवती के ऐसा करने पर उसके पति की मृत्यु हो गई. इधर जब वीरवती को पता चला कि उसने दीपक को चांद समझने की गलती की, जिसकी वजह से उसके पति का देहावसान हो गया. जिसके बाद वीरवती बहुत दुखी हो गई. उसने अपने पति के मृत शरीर को सुरक्षित अपने पास रखा और अगले साल फिर से करवा चौथ के दिन विधि-विधान से व्रत किया. जिससे करवा माता प्रसन्न हुईं और उनकी कृपा से उसके पति जीवित हो गए. यही वजह है कि करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं छलनी से अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. करवा चौथ की यह परंपरा आज भी जीवंत है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

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