
Hariyali eej kab hai 2025 : सावन का महीना हिन्दू धर्म में खास महत्व रखता है. श्रावण मास भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. इस माह में 5 सावन सोमवार के व्रत रखे जाते हैं, जिससे भोलेनाथ की कृपा आप पर बनी रहती है. इसी के साथ सावन में कई महत्वपूर्ण त्योहार भी पड़ते हैं. इस माह में हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है, जिसका इंतजार सुहागिन महिलाएं पूरे साल करती हैं. इस साल श्रावण मास में हरियाली तीज कब है, पूजा विधि और महत्व क्या है, इसके बारे में बता रहे हैं पंडित अंशुल त्रिपाठी...
कब है हरियाली तीज 2025 - Hariyali Teej tithi 2025
पंडित अंशुल त्रिपाठी बताते हैं कि यह पर्व हर साल सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार साल 2025 में श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई दिन शनिवार को रात 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगी, जो 27 जुलाई को 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. क्योंकि सूर्योदय काल में 27 तारीख पड़ रही है, ऐसे में हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई दिन रविवार को रखा जाएगा.
हरियाली तीज पूजा विधि - Hariyali Teej 2025 Puja Vidhi
- हरियाली तीज से एक दिन पहले व्रती महिलाएं सात्विक भोजन करें.
- व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें फिर पूजा पाठ के साथ दिन की शुरूआत करें.
- इस दिन आप 16 श्रृंगार करें और फिर पूजा घर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प करिए.
- अब आप संध्याकाल में तीज की विधि-विधान के साथ पूजा करें.
- किसी लाल चौकी पर लाल या फिर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित करें.
- अब आप देवी पार्वती को सिंदूर लगाकर उनको सुहाग का समान अर्पित करिए और देवों के देव महादेव को फल, फूल और धूप अर्पित करिए.
- अंत में आप हरियाली तीज की कथा सुनें और समापन आरती के साथ करें. वहीं, व्रत का पारण आप अगली सुबह करें.
हरियाली तीज का महत्व - Significance of Hariyali Teej
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती मन से भगवान शिव को अपनी पति मान चुकी थीं, लेकिन उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से कराना चाहते थे. ऐसे में श्री हरि से विवाह न हो इसके लिए देवी पार्वती की सहेलियों ने उसे किसी जंगल में शरण लेने की सलाह दी, जिसके बाद मां पार्वती ने जंगल में जाकर कठोर तपस्या की जिससे शिव जी उनसे प्रसन्न होकर दर्शन देते हैं और उनसे विवाह करने के लिए तैयार हो जाते हैं. मान्यता है जिस दिन महादेव ने देवी पार्वती से विवाह के लिए हामी भरी थी उस दिन श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी. यही कारण है इस तिथि पर हरियाली तीज मनाई जाती है. यह व्रत कुंआरी लड़कियां मनचाहे वर के लिए और विवाहित स्त्रियां खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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