Kaal Bhairav Jayanti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं. इस चलते मार्गशीर्ष मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि काल भैरव जयंती के रूप में मनाई जाती है. भक्त इस दिन बाबा भैरव (Baba Bhairav) के लिए व्रत भी रखते हैं व पूजा-आराधना में लीन रहते हैं. माना जाता है कि काल भैरव प्रसन्न होने पर भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि का वर देते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. काल भैरव जयंती इस साल 16 नवंबर को यानी आज मनाई जा रही है. जानिए इस दिन किस तरह की जाती है भैरव बाबा की पूजा-आराधना.
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काल भैरव जयंती पर बाबा भैरव को प्रसन्न करना
आने वाली काल भैरव जयंती पर पूजा का शुभ महुर्त (Shubh Muhurt) 16 नवबंर सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 17 नवंबर सुबह 7 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. व्रत रखने वाले भक्त खासतौर से कुछ बातों को ध्यान में रखकर बाबा भैरव की कृपा पा सकते हैं.
- सुबह-सवेरे स्नान पश्चात् काल भैरव के लिए व्रत का संकल्प लिया जाता है और दिन की शुरूआत की जाती है. हालांकि, भगवान काल भैरव की पूजा रात के समय होती है लेकिन व्रत सुबह से ही प्रारंभ हो जाता है.
- भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ते को माना जाता है जिस चलते इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना अच्छा मानते हैं.
- रात की पूजा (Puja) से पहले ही काल भैरव मंदिर की साफ-सफाई कर ली जाती है. घर में भी काल भैरव की प्रतिमा को पूजा जा सकता है.
- सबसे पहले पूजा में चौमुखी दीपक जलाने की मान्यता है.
- काल भैरव पूजा में पुष्प, धूप और दीप को सम्मिलित किया जाता है.
- भैरव बाबा को भोग में इमरती, जलेबी, पान, नारियल और उड़द की दाल चढ़ाई जाती है.
- पूजा के समय ही काल भैरव चालीसा का पाठ और आरती की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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