भारत में ऐसे कई मंदिर और देवालय हैं, जहां के चमत्कारों पर सहज यकीन नहीं होता है। ऐसी ही एक अनोखी विशेषता वाला मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहां के भगवान जगन्नाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है, यह मौसम, विशेषकर बारिश की सटीक भविष्यवाणी करता है।
इस मंदिर की खूबी यह है कि यह मंदिर बारिश होने की सूचना एक दो दिन पहले नहीं बल्कि सात दिन पहले ही दे देता है। कहते हैं कि चिलचिलाती धूप में इस मंदिर के भवन की छत से पानी टपकता है, जबकि बारिश होने पर छत से पानी टपकना बंद हो जाता है।
‘बारिश मंदिर’ कहते हैं इसे...
जुलाई में यहां भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा उत्सव होता है, जिसमें रथ खींचने और पूजा करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जन्माष्टमी के दौरान भी यहां भव्य मेला आयोजित होता है।
आश्चर्यजनक यह कि ‘बारिश मंदिर’ के नाम से लोकप्रिय यह मंदिर अच्छी और ख़राब बारिश की ओर भी इशारा कर देता है जिसका निर्धारण टपकती बूंदों के आकार से होता है। यदि छत से टपकती पानी की बूंदे बड़ी आकार की होती हैं तो यह अच्छे मानसून का संकेत है और यदि बूंदें छोटी होती हैं तो सूखा पड़ने की आशंका होती है।
खेत जोतने निकल पड़ते हैं किसान...
बड़ी संख्या में यहां के स्थानीय लोग और किसान अच्छे मानसून की लिए प्रार्थना करने के लिए आते हैं। इस घटना पर यहां के स्थानीय किसान इतना यकीन करते हैं, कि वे लोग मंदिर के छत से पानी टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं।
वे पानी की बूंदों को देखने के लिए छत पर पत्थर जमा करते हैं ताकि इनके बीच जमा हुए पानी की बूंदों को देखा जा सके।
मंदिर की डिजाइन में है कुछ ख़ास बात...
इस मंदिर की सातवीं पीढ़ी के एक पुजारी का कहना है कि मंदिर का डिजाइन अपने आप में अभूतपूर्व है। इस मंदिर जैसी किसी और मंदिर डिजाइन उन्होंने कहीं नहीं देखी है।
सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है, छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है। यह माजरा क्या है, यह किसी के समझ में आता है। अनेक लोगों का मानना है कि इसका राज मंदिर की डिजाइन में छिपा है, जो मौर्य अशोक सम्राट के समय बनाए गए स्तूप की संरचना के आधार पर बना है।
इस मंदिर की खूबी यह है कि यह मंदिर बारिश होने की सूचना एक दो दिन पहले नहीं बल्कि सात दिन पहले ही दे देता है। कहते हैं कि चिलचिलाती धूप में इस मंदिर के भवन की छत से पानी टपकता है, जबकि बारिश होने पर छत से पानी टपकना बंद हो जाता है।
‘बारिश मंदिर’ कहते हैं इसे...
जुलाई में यहां भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा उत्सव होता है, जिसमें रथ खींचने और पूजा करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जन्माष्टमी के दौरान भी यहां भव्य मेला आयोजित होता है।
आश्चर्यजनक यह कि ‘बारिश मंदिर’ के नाम से लोकप्रिय यह मंदिर अच्छी और ख़राब बारिश की ओर भी इशारा कर देता है जिसका निर्धारण टपकती बूंदों के आकार से होता है। यदि छत से टपकती पानी की बूंदे बड़ी आकार की होती हैं तो यह अच्छे मानसून का संकेत है और यदि बूंदें छोटी होती हैं तो सूखा पड़ने की आशंका होती है।
खेत जोतने निकल पड़ते हैं किसान...
बड़ी संख्या में यहां के स्थानीय लोग और किसान अच्छे मानसून की लिए प्रार्थना करने के लिए आते हैं। इस घटना पर यहां के स्थानीय किसान इतना यकीन करते हैं, कि वे लोग मंदिर के छत से पानी टपकने के संदेश को समझकर जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं।
वे पानी की बूंदों को देखने के लिए छत पर पत्थर जमा करते हैं ताकि इनके बीच जमा हुए पानी की बूंदों को देखा जा सके।
मंदिर की डिजाइन में है कुछ ख़ास बात...
इस मंदिर की सातवीं पीढ़ी के एक पुजारी का कहना है कि मंदिर का डिजाइन अपने आप में अभूतपूर्व है। इस मंदिर जैसी किसी और मंदिर डिजाइन उन्होंने कहीं नहीं देखी है।
सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है, छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है। यह माजरा क्या है, यह किसी के समझ में आता है। अनेक लोगों का मानना है कि इसका राज मंदिर की डिजाइन में छिपा है, जो मौर्य अशोक सम्राट के समय बनाए गए स्तूप की संरचना के आधार पर बना है।
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