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जगन्नाथ मंदिर में बनता है 3 तरह का प्रसाद, एक होता है 'मोक्ष' दिलाने वाला, जानिए कैसे होता है तैयार

आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा रसोई है, जिसमें रोजाना हजारों लाखों लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. यहां पर 3 तरह के प्रसाद बनते हैं, जिसमें से एक मोक्ष प्रसाद होता है, जी हां. आज के इस लेख में हम उसी के बारे में बात करने जा रहे हैं.

जगन्नाथ मंदिर में बनता है 3 तरह का प्रसाद, एक होता है 'मोक्ष' दिलाने वाला, जानिए कैसे होता है तैयार
इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो रही है, जो 5 जुलाई को समाप्त होगी.

Jagannath ji mahaprasad : भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित जगन्नाथ मंदिर अपनी रथ यात्रा के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यह रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह में निकाली जाती है. जिसमें देश-दुनिया से हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने और इस दौरान बनने वाला महा प्रसाद ग्रहण करने के लिए आते हैं. मान्यता है इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी. साथ ही इससे मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती. आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा रसोई है, जिसमें रोजाना हजारों लाखों लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. यहां पर 3 तरह के प्रसाद बनते हैं, जिसमें से एक मोक्ष प्रसाद होता है, जी हां. आज के इस लेख में हम उसी के बारे में बात करने जा रहे हैं.

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 जगन्नाथ मंदिर में 3 प्रकार के प्रसाद कौन-कौन से हैं - What are the 3 types of Prasad in Jagannath Temple

पहला प्रसाद होता है 'संकुदी'. इसे परिसर के अंदर ही ग्रहण करना होता है. बाहर ले जाना वर्जित है. 

दूसरा प्रसाद होता है 'सुखिला'. इसमें सूखी मिठाई और नमकीन होता है, जिसे आप घर ले जा सकते हैं. इसे आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों में बाट सकते हैं. 

तीसरा जो सबसे विशेष है 'निर्मला प्रसाद'. इसे ही मोक्ष प्रसाद कहते हैं. कहते हैं इसे खाने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. मान्यता है जिसकी मृत्यु नजदीक होती है वो इसे ग्रहण कर ले तो मोक्ष प्राप्त होता है. इस प्रसाद को कोइली बैकुंठ नाम के विशेष स्थान पर तैयार किया जाता है. आपको बता दें कि इस स्थान पर भगवान जगन्नाथ की पुरानी प्रतिमाओं को दफनाया जाता है. 

इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू हो रही है, जो 5 जुलाई को समाप्त होगी. इसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के पास गुंडीचा पहुंचेंगे. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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