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This Article is From Jan 19, 2016

यहां हुई केलों की बारिश, इष्टदेवता के लिए ऑटोरिक्शा और वैन में भरकर लाए गए केले 

यहां हुई केलों की बारिश, इष्टदेवता के लिए ऑटोरिक्शा और वैन में भरकर लाए गए केले 
प्रतीकात्मक चित्र
डिंडीगुल: देश के विभिन्न भागों में धार्मिक क्रियाकलापों और अनुष्ठानों में भांति-भांति की परंपराएं मानी और निभाई जाती है। शहर की अपेक्षा गांवों में यह अधिक देखने को मिलता है। देवी-देवताओं को फल-फूल, अनाज, वस्त्र, बकरी, मुर्गे और न जाने क्या-क्या चढ़ाए जाते हैं!

तमिलनाडु के एक गांव में ऐसा ही रोचक महोत्सव मनाया गया है, जिसमें श्रद्धालुओं ने  इष्ट देवता के ऊपर जमकर केले फेंके। यह अनोखा उत्सव हर साल की तरह तमिल महीना ‘थाई’ के तीसरे दिन डिंडीगुल के एक एक गांव के मंदिर में आयोजित किया गया।

इस दिन यहां श्रद्धालुओं द्वारा भारी मात्रा में इष्टदेव को केला फल चढ़ाया गया। पुजारियों ने चढ़ाए गए केले (प्रसाद) को मंदिर के बाहर एकत्र भीड़ पर फेंका। एक श्रद्धालु ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो आसमान से केलों की बारिश हो रही हो।

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200 साल पुरानी है यह परंपरा

करीब 200 साल पुरानी परंपरा को जारी रखते हुये डिंडीगुल से करीब 30 किलोमीटर दूर सेवुगमपत्ती गांव के निवासियों ने कल ‘सूरोई विधुतल’ (केला फेंकना) महोत्सव मनाया। महोत्सव के तहत सोलामलाई श्री अजहगर मंदिर के छत से केलों के सैकड़ों गुच्छे फेंके गये।

श्रद्धालुओं में प्रत्येक करीब 20 दर्जन केले लेकर पहुंचा, जबकि भारी मात्रा में फल लाने वाले व्यक्ति ऑटोरिक्शा और वैन से आए थे और मंदिर के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

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