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This Article is From Oct 04, 2023

Indira Ekadashi 2023: पितृ पक्ष में इस दिन पड़ रही है इंदिरा एकादशी, जानिए किस तरह की जा सकती है श्री हरि की पूजा

Indira Ekadashi Date: एकादशी पर मान्यतानुसार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा-आराधना करने वालों पर श्री हरि अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं.

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Indira Ekadashi 2023: पितृ पक्ष में इस दिन पड़ रही है इंदिरा एकादशी, जानिए किस तरह की जा सकती है श्री हरि की पूजा
Ekadashi In Pitra Paksha: जानिए अक्टूबर में कब रखा जाएगा इंदिरा एकादशी का व्रत. 

Ekadashi 2023: साल में तकरीबन 24 एकादशी पड़ती हैं. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और माना जाता है कि एकादशी पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. मान्यता यह भी है कि एकादशी व्रत पापों से भी मुक्ति दिलाता है और जीवन सुखमय बनाने में कारगर है. पितृ पक्ष (Pitra Paksha) में पड़ने वाला एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. इस चलते इसे एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है. जानिए इंदिरा एकादशी कब है और किस तरह किया जा सकता है भगवान विष्णु का पूजन. 

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इंदिरा एकादशी कब है | When Is Indira Ekadashi 

पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 9 अक्टूबर, सोमवार दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू हो जाएगी और इस तिथि की समाप्ति अगले दिन दोपहर 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस चलते उदया तिथि के अनुसार, 10 अक्टूबर, मंगलवार के दिन ही इंदिरा एकादशी का व्रत (Indira Ekadashi Vrat) रखा जाएगा. 
इंदिरा एकादशी के दिन व्रत का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक रहेगा. पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 1 बजकर 35 मिनट तक होने वाला है. इसके बाद दोपहर 3 बजकर 3 मिनट से शाम साढ़े चार बजे तक पूजा का अगला शुभ मुहूर्त पड़ रहा है.

इंदिरा एकादशी का महत्व 

पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी मनाई जाती है. इस एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व होता है. माना जाता है कि विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कैसे करें इंदिरा एकादशी की पूजा 

इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. भक्त पूजा करने के लिए घर के मंदिर में पूजा करने के लिए श्रीहरि की प्रतिमा पर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं. भगवान के समक्ष फूल और तुलसी दल अर्पित किए जाते हैं और आरती करने के पश्चात भोग लगाया जाता है. इसी भोग को प्रसाद स्वरूप सभी को बांटते हैं. भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना भी इस दिन शुभ होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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