Ganesh Puja: गणपति को दूर्वा चढ़ाने के लिए बताए गए हैं खास नियम, जानिए मंत्र और विधि

Ganesh Puja: चतुर्थी तिथि और बुधवार भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है. गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के लिए खास मंत्र और नियम बताए गए हैं.

Ganesh Puja: गणपति को दूर्वा चढ़ाने के लिए बताए गए हैं खास नियम, जानिए मंत्र और विधि

Ganesh Puja: गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने के खास नियम बताए गए हैं.

खास बातें

  • भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने का है खास महत्व.
  • दूर्वा चढ़ाने के हैं खास नियम.
  • भगवान गणेश को प्रिय है दूर्वा.

Ganesh Puja: प्रत्येक मास ही चतुर्थी तिथि (Chaturthi) और बुधवार (Wednesday) को भगवान गणेश (Lord Ganesha) की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश (Ganesh Ji) को विघ्नहर्ता कहा गया है. माना जाता है कि इनकी विधिवत पूजा करने से जीवन के संकट दूर हो जाते हैं, जिससे जीवन खुशहाल रहता है. वैसे तो भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए कई चीजें अर्पित की जाती हैं, लेकिन भगवान गणपित को दूर्वा (Durva) चढ़ाने के अपना अलग महत्व बताया गया है. दूर्वा (Durva) चढ़ाने के खास नियम और मंत्रों के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं इसके बारे में. 

भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के क्या हैं नियम | Rules of Offering Durva

शास्त्रों में भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के लिए खास नियम बताया गया है. जिसके मुताबिक सबसे पहले दूर्वा का जोड़ा बनाया जाता है. उसके बाद भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है. 22 दूर्वा को एक साथ जोड़ने पर 11 जोड़ा दूर्वा तैयार होता है. मान्यता है कि भगवान गणेश को 11 जोड़ा दूर्वा चढ़ाने से विशेष लाभ मिलता है. दूर्वा किसी मंदिर, बगीचे या साफ स्थान पर उगी हुई होनी चाहिए. जहां गंदे पानी का बहाव हो, उस स्थान का दूर्वा भगवान गणेश को नहीं चढ़ाया जाता है. भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से पहले उसे साफ पानी में धो लिया जाता है. 

दूर्वा चढ़ाते वक्त बोला जाते हैं ये मंत्र | Manntra For Offering Durva

  • इदं दूर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः 
  • ओम् गं गणपतये नमः
  • ओम् एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् 
  • ओम् श्रीं ह्रीं क्लें ग्लौम गं गणपतये वर वरद सर्वजन जनमय वाशमनये स्वाहा तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धिमहि तन्नो दंति प्रचोदयत ओम शांति शांति शांतिः
  • ओम् वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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