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This Article is From Jan 02, 2023

Holi 2023: मार्च में किस तारीख को मनाई जाएगी होली, जानें डेट और शुभ मुहूर्त

Holi 2023: हिंदू धर्म में होली का पर्व खास महत्व रखता है. हिंदी पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में होली का त्योहार मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी.

Holi 2023: मार्च में किस तारीख को मनाई जाएगी होली, जानें डेट और शुभ मुहूर्त
Holi 2023: साल 2023 में 7 मार्च को होलिका दहन है.

Holi 2023 Date: होली का पावन पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है. दरअसल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन (Holika Dahan 2023) मनाया जाता है. इस दिन लोग होलिका जलाते हैं. इसके बाद अगली सुबह रंग-अबीर से होली खेली जाती है. साल 2023 का आगाज हो चुका है. ऐसे में इस साल होली (Holi 2023) कब मनाई जाएगी इसको लेकर लोग काफी उत्सुक हैं. आइए जानते हैं कि नए साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी और इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है.

होली 2023 मुहूर्त | Holika Dahan 2023 Muhurat

होलिका दहन की पूजा अगर मुहूर्त में न की जाए तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है.  होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाता है. फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 7 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा.

भद्रा पूँछ - सुबह 12:43 - सुबह 02:01

भद्रा मुख - सुबह 02:01 - सुबह 04:11

होलिका दहन मुहूर्त - शाम 06 बजकर 31- रात 08 बजकर 58 (7 मार्च 2023)

अवधि - 02 घंटे 27 मिनट

होली का महत्व | Importance of Holi

हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था. उसका पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था. राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था. जब उसे पता चला कि प्रह्लाद विष्णु भक्त है, तो उसने प्रह्लाद को रोकने की कोशिश की. लेकिन प्रह्लाद के न मानने पर  हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा. हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया. हिरण्यकश्यपु की होलिका नाम की एक बहन थी. उसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी. हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई. मान्यता है कि तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन के बाद यह त्योहार मनाया जाने लगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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