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This Article is From Feb 16, 2022

Guru Ravidas Jayanti 2022: आज देशभर में मनाई जा रही है गुरु रविदास जयंती, जानिए महत्व और इतिहास

हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ माह (Magh Mass) में पूर्णिमा (Poornima) तिथि को संत रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2022) मनाई जाती है. देशभर में आज (16 फरवरी) गुरु रविदास जी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है.

Guru Ravidas Jayanti 2022: आज देशभर में मनाई जा रही है गुरु रविदास जयंती, जानिए महत्व और इतिहास
Guru Ravidas Jayanti 2021: आज है गुरु रविदास जयंती, जानें महत्व और इतिहास
नई दिल्ली:

गुरु रविदास (Guru Ravidas) 15वीं और 16वीं शताब्दी के भक्ति आंदोलन (Bhakti Movement) के एक रहस्यवादी कवि संत थे और उन्होंने रविदासिया धर्म की स्थापना की थी. गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) उनके जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है. कहा जाता है कि गुरु रविदास ने कई भजन लिखे थे और उनमें से कुछ का जिक्र सिख धर्म की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब में मिलता है. संत रविदास ने अपनी कालजयी रचनाओं से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है.

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देशभर में आज (16 फरवरी) गुरु रविदास जी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. खासतौर पर यह दिन उत्तर भारत में मनाया जाता है, जिसमें पंजाब (Punjab), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh), हरियाणा (Haryana) और चंडीगढ़ (Chandigarh) शामिल हैं.

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हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ माह (Magh Mass) में पूर्णिमा (Poornima) तिथि को संत रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2022) मनाई जाती है. संत रविदास की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं. माना जाता है कि गुरु रविदास का जन्म 1377 में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. साल 2022 में गुरु रविदास जी की जयंती आज 16 फरवरी को मनाई जा रही है. संत रविदास जी के पिताजी का नाम रघू और माताजी का नाम घुरविनिया था.

कहा जाता है कि गुरु रविदास से प्रभावित होकर मीराबाई ने उन्हें अपना गुरु मान लिया था. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मीरा के मंदिर के सामने एक छोटी छतरी बनी है, जिसमें संत रविदास के पद चिन्ह दिखाई देते है. संत रविदास जी की जयंती के अवसर पर उन्हें याद किया जाता है. आज भी करोड़ों लोग संत रविदास को अपना आदर्श मानकर उनकी पूजा करते हैं. इस अवसर पर कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है.

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उनके अनुयायी गुरु रविदास (Guru Ravidas) के सम्मान में आरती (aarti) करते हैं. वाराणसी (Varanasi) में उनके जन्म स्थान पर बने श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर में भव्य समारोह (grand celebration) का आयोजन किया जाता है. उनके कुछ अनुयायी पवित्र नदी में डुबकी भी लगाते हैं.

संत रविदास को जयदेव, नामदेव और गुरुनानक जैसे महान संतों की अविरल परंपरा की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जाना जाता है. वे अपनी भक्ति में भाव और सदाचार के महत्व पर जोर देते थे. उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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