![Guru Ravidas Jayanti 2025: आज गुरु रविदास जयंती के अवसर पर सभी को भेजिए संत रविदास के ये अनमोल वचन Guru Ravidas Jayanti 2025: आज गुरु रविदास जयंती के अवसर पर सभी को भेजिए संत रविदास के ये अनमोल वचन](https://c.ndtvimg.com/2025-02/ph9oab6o_ravidas-jayanti-2025_625x300_11_February_25.jpg?im=FeatureCrop,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Guru Ravidas Jayanti 2025: गुरु रविदास भक्ति आंदोलन का जाना-पहचाना नाम थे. उन्हें गुरु रविदास, संत रविदास और भगत रविदास जैसे नामों से भी जाना जाता है. आज 12 फरवरी के दिन गुरु रविदास की 648वीं जयंती मनाई जा रही है, इसी दिन गुरु रविदास का जन्म हुआ था. अपने जीवन में संत रविदास (Sant Ravidas) समानता और मानव अधिकारों की शिक्षा दिया करते थे. वे संत, कवि और दार्शनिक थे. ऐसे में आज संत रविदास की जन्मतिथि पर आप भी सभी से उनके कहे अनमोल वचन साझा कर सकते हैं और इस शुभ दिन की बधाई दे सकते हैं.
संत रविदास के अनमोल वचन | Sant Ravidas Anmol Vachan
- हमें हमेशा कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य है.
- जहां प्रेम नहीं, वहां नरक है. जहां प्रेम है, वहां स्वर्ग है.
- मन शुद्ध हो तो हर जगह पवित्रता है.
- यदि आपमें थोड़ा सा भी अभिमान नहीं है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल रहता है, ठीक वैसे ही जैसे एक विशालकाय हाथी शक्कर के दोनों को बिन नहीं सकता, लेकिन एक तुच्छी सी दिखने वाली चींटी शक्कर के दानों को आसानी से बिन लेती है.
- माता-पिता और गुरु तीनों देवताओं के समान हैं, इनकी सेवा करो और ईश्वर का भजन करो.
- ऐसा राज्य चाहता हूं जहाँ सभी को भोजन मिले, सब लोग समान रहें और खुश रहें.
- प्रेम ही सब कुछ है, प्रेम ही ईश्वर है.
- यह संसार असत्य है, केवल ईश्वर ही सत्य है.
- जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नहीं है, वास्तव में संसार असत्य है.
- अगर अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम दूसरों को नुकसान न पहुचाएं. अगर फूल नहीं बन सकते हैं, तो कम से कम कांटे न बनें.
ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न।
छोट बड़ो सब सम बसे रविदास रहे प्रसन्न।।
मन चंगा तो कठौती में गंगा,
संत परंपरा के महान योगी,
परम ज्ञानी संत श्री रविदास जी,
आपको कोटि-कोटि नमन.
करम बंधन में बन्ध रहियो,
फल की ना तज्जियो आस,
कर्म मानुष का धर्म है,
संत भाखै रविदास।...
भला किसी का नहीं कर सकते,
तो बुरा किसी का मत करना,
फूल जो नहीं बन सकते तुम,
तो कांटा बनकर भी मत रहना.
गुरु के उपदेश कभी निष्फल नहीं जाते
उसका वचन कभी गलत नहीं होता
वह प्रकाश का सच्चा स्रोत है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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