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This Article is From Jul 08, 2017

गुरु पूर्णिमा 2017: जीवन को नई दिशा देने वाले गुरु को सम्‍मान देने का खास दिन

गुरु पूर्णिमा 2017: गुरु के इसी महत्‍व को दर्शाने का शायद ही इससे अच्‍छा दिन कोई हो. पूरे भारत में यह त्‍योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में इसी दिन शिष्‍य अपने गुरुओं की पूजा करते थे.

गुरु पूर्णिमा 2017: जीवन को नई दिशा देने वाले गुरु को सम्‍मान देने का खास दिन
गुरु पूर्णिमा 2017: जीवन को नई दिशा देने वाले गुरु को सम्‍मान देने का खास दिन
Guru Purnima 2017: मां-बाप के बाद अगर जीवन में किसी का विशेष स्‍थान होना चाहिए तो वह हैं हमारे गुरु. जिस बच्‍चे को एक माता-पिता जन्‍म देता है, उसे जीवन की कठिन राह पर मजबूती से खड़े रहने की हिम्‍मत एक शिक्षक ही देता है. गुरु के इसी महत्‍व को दर्शाने का शायद ही इससे अच्‍छा दिन कोई हो. पूरे भारत में यह त्‍योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में इसी दिन शिष्‍य अपने गुरुओं की पूजा करते थे.

गुरु पूर्णिमा का यह त्‍यौहार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. भारतीय परम्परा में गुरु को गोविंद से भी ऊंचा माना गया है, इसलिए यह दिन गुरु की पूजा का विशेष दिन है.

हिन्दू परम्परा के अनुसार गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति सिर छुकाकर उनके प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है. ऐसा माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा करने से ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है.

गुरु पूर्णिमा 2017: जीवन को नई दिशा देने वाले गुरु को सम्‍मान देने का खास दिन

गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था. मान्यता है कि उन्होंने चारों वेदों को लिपिबद्ध किया था. इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है. उनके सम्मान में गुरु  पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

गुरु पूर्णिमा के त्‍योहार के दिन लाखों श्रद्धालु ब्रज में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस‍ दिन बंगाली साधु सिर मुंडाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, ब्रज में इसे मुड़िया पूनों नाम से जाना जाता है.

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