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Govardhan Puja 2025: आज नहीं कल होगी गोवर्धन पूजा, जानें कारण, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Govardhan Puja 2025: दीपों से जुड़ा दीपावली के पंचपर्व का तीसरा पर्व गोवर्धन महाराज की पूजा का होता है. यह पूजा इस साल कब और किस शुभ मुहूर्त में की जाएगी? गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व क्या है,​ विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Govardhan Puja 2025: आज नहीं कल होगी गोवर्धन पूजा, जानें कारण, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
Govadhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
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Govardhan Puja 2025 Date and shubh Muhurat: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. पूरा कार्तिक का महीना तमाम तरह के पुण्यदायी पर्वों से भरा हुआ रहता है. यदि बात करें दीपावली के पंचमहापर्व में आने वाले तीसरे त्योहार गोवर्धन पूजा की तो इस साल यह पर्व 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा. दिवाली के बाद आखिर इस साल एक दिन का गैप क्यों है? गोवर्धन पूजा के लिए सुबह और शाम के समय का सबसे उत्तम मुहूर्त क्या है? आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

किस दिन होगी गोवर्धन पूजा

पंचांग के अनुसार जिस कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा की तिथि के दिन गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है, वह इस साल 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार के दिन सायंकाल 05:54 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन यानि 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को रात्रि 08:16 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पावन पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

गोवर्धन पूजा का का शुभ मुहूर्त

इस दिन गोवर्धन महाराज की प्रात:कालीन पूजा का समय सुबह 06:26 से लेकर 08:42 बजे तक रहेगा. ऐसे में गोवर्धन महाराज के भक्तों को पूजा के लिए पूरे 02 घंटे 16 मिनट मिलेंगे. यदि आप गोवर्धन महाराज की पूजा शाम को करना चाहते हैं तो इसके लिए अत्यंत ही शुभ मुहूर्त दोपहर 03:29 से लेकर शाम को 05:44 बजे तक रहेगा. इस दौरान भी आपको गोवर्धन पूजा के लिए पूरे दो घंटे 17 मिनट मिल जाएंगे.

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व

सनातन परंपरा में कार्तिक मास के शुक्लपक्ष को मनाए जाने वाले पर्व को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माने जाने वाले गोवर्धन महाराज की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मुख्य रूप से यह पर्व प्रकृति की पूजा से जुड़ा हुआ है.

मान्यता है कि इसी दिन पूर्णावतार माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका अंगुल पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर देवताओं के राजा इंद के अभिमान को दूर किया था. तब से लेकर आज तक इस दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है और इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ उसकी परिक्रमा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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