Ganesh Jayanti 2023: माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. आज बुधवार है और अद्भुत संयोग भी बन रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बुधवार (Budhwar) के दिन को गणेश भगवान का दिन ही कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है, जैसे सोमवार के दिन भोलेनाथ का पूजन किया जाता है तो शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी की पूजा होती है. गणेश जयंती के दिन रवि योग, शिव योग और परिघ योग बन रहे हैं. इस दिन यदि बप्पा को उनकी पसंद का भोग (Bhog) लगाया जाए तो मान्यतानुसार विशेष कृपा मिलती है.
गणेश जयंती पर पूजा | Ganesh Jayanti Puja
गणेश जंयती पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) सुबह 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक बताया जा रहा है. वहीं, रवि योग की बात करें तो सुबह 7 बजकर 10 मिनट से ही रवि योग लग जाएगा जो रात्रि 8 बजकर 5 मिनट तक रहने वाला है.
बुधवार के दिन गणेश भगवान (Lord Ganesha) के पूजन की बात करें तो मान्यतानुसार जब माता पार्वती ने गणेश भगवान को बनाया व प्राण दिए तो उस समय कैलाश पर्वत पर बुध देव उपस्थित थे, इसी चलते बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
- गौरतलब है कि भगवान गणेश को मोदक (Modak) प्रिय हैं. ऐसे में गणेश जी के इस मनपसंद पकवान को गणेश जयंती के दिन भोग के रूप में चढ़ाया जा सकता है.
- गणेश भगवान को भोग में मखाने की खीर भी चढ़ाई जा सकती है. मान्यतानुसार इस भोग को धन, संपत्ति और खुशहाली में बरकत हेतु चढ़ाया जाता है.
- बेसन और मोतीचूर के लड्डू भी भोग में चढ़ाए जा सकते हैं. इस प्रसाद को घर के लोग भी चाव से खाएंगे.
- श्रीखंड भी भगवान गणेश को चढ़ाया जा सकता है. इस श्रींखड में केसर जरूर डालें. केसर वाले श्रीखंड को भोग में लगाना ज्यादा बेहतर होता है.
- केला भी भोग में लगाने के लिए अच्छा है. लेकिन, गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) के समक्ष केले को अकेला नहीं बल्कि जोड़े में अर्पित करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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