
Bada mangal ko kya karen upay : आज ज्येष्ठ माह का आखिरी बड़ा मंगल है. यह तिथि हनुमान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है. यही कारण है कि लोग इस दिन उपवास रखते हैं और विधि-विधान के साथ बजरंगबली की पूजा अर्चना भी करते हैं. मान्यता है इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन आप हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास उपाय भी कर सकते हैं, जिसके बारे में हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं...
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बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए क्या करें - What to do to please Bajrangbali
आपको बता दें कि ज्येष्ठ माह का बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल इसीलिए खास है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इस माह मंगलवार के दिन प्रभु श्री राम और हनुमान जी की भेंट हुई थी. ऐसे में आप बजरंगबली (how to pleased hanuman ji) को प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्रीराम के मंत्र का (prabhu shri ram mantra) जाप कर सकते हैं. इसके अलावा आप राम चालीसा (ram chalisa) का भी पाठ करिए.
ज्येष्ठ माह के आखिरी मंगलवार का उपाय - Remedy for the last Tuesday of Jyeshtha month
- इस दिन आप बूंदी का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और लोगों में इसे बांट दीजिए
- बड़े मंगल के दिन आप प्रिय फूल चमेली की माला चढ़ा सकते हैं.
- इस दिन आप हनुमान जी को उनका प्रिय सिंदूर भी चढ़ा सकते हैं.
- हनुमान जी के मंत्र ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' या फिर ‘ऊँ भौं भौमाय नम: ‘ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
- बड़े मंगल पर हनुमान जी को पान का बीड़ा, बेसन के लड्डू का भोग, इमरती का भोग लगाएं. यह सारी चीजें हनुमान जी को बहुत प्रिय हैं.
- इस दिन आप बजरंगबाण और सुंदरकांड का भी पाठ कर सकते हैं. यह भी बहुत फलदायी होता है. साथ ही इस दिन गरीब लोगों को दान भी कर सकते हैं.
बजरंग बाण
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥
जय हनुमन्त संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज बिलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा ।
सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम-पद लीना ।।
बाग उजारि सिन्धु मह बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।
ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके ।
राम दूत धरु मारू जायके
जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप-तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पायं परौं कर जोरी मनावौं ।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनी कुमार बलवंता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ।।
बदन कराल काल कुलघालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।
भूत प्रेत पिसाच निसाचर।
अगिन वैताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।
राखउ नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावो ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता ।
ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ।।
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्रान की ।।
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।
दोहा : प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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