छोटी दीवाली 2021: नरक चतुर्दशी है आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

छोटी दीवाली 2021: आज है छोटी दीवाली, चलिए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और कैसे पड़ा छोटी दीवाली का नाम नरक चौदस.

छोटी दीवाली 2021: नरक चतुर्दशी है आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने आज के दिन ही नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था.

नई दिल्ली:

Diwali 2021:  दीवाली कल यानि गुरुवार को है. पर इसकी तैयारियां दशहरे के आसपास से ही हर घर में शुरू हो जाती हैं. पांच दिन चलने वाले इस त्योहार का हर दिन महत्वपूर्ण होता है. फिर चाहें वो धनतेरस हो, नरक चौदस हो या कोई अन्य दिन. पांच दिवसीय दीप पर्व की शुरूआत धनतेरस से हो जाती है, जबकि दूसरे दिन नरक चौदस मनाया जाता है. जिसे छोटी दीवाली भी कहते हैं, जो कि आज है. आज के दिन का भी खूब महत्व है. नरक चौदस, रूप चौदस और छोटी दिवाली तीनों आज के दिन के नाम से है. माना जाता है कि दीवाली की साफ सफाई में दिन बिताने के बाद छोटी दीवाली का दिन रूप सज्जा और खुद की देखभाल में बिताया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है. पर नरक चौदस नाम पड़ने के पीछे कई किंवदंतियां जुड़ी हैं.

छोटी दिवाली कब है?


इस साल छोटी दिवाली का पर्व तीन नवंबर आज मनाई जा रही है. जोकि दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है. दिवाली इस बार चार नवंबर की होती है.

ये छोटी दिवाली का शुभ मुहूर्त


दुनियाभर के हिन्दु समुदाय के लोग पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठान के लिए अनुकूल समय को शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है.  इस बार छोटी दिवाली तीन नवंबर यानी आज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक रहेगा. स्नान या अभयंगा स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक होगा. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है.

नरकासुर का वध

माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने आज के दिन ही नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे नरक चौदस कहा जाने लगा. इसे मुक्ति पर्व भी माना जाता है.

नरकासुर राक्षस देव-देवियों और मनुष्यों सभी को बहुत परेशान करता था. श्रीमद्भागवत के अनुसार नरकासुर ने न केवल देवताओं की नाक में दम कर रखा था, बल्कि 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था. तीनों लोक उसके अत्याचारों से परेशान हो गए. जब कोई हल नहीं मिला तो देवी देवताओं ने भगवान कृष्ण की शरण लेना ही उचित समझा. देवी देवताओं ने भगवान से गुहार लगाई कि वो नरकासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्त करें.

नरकासुर का श्राप

ये भी माना जाता है कि नरकासुर को ये श्राप मिला था कि वो किसी स्त्री के कारण ही मारा जाएगा. ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद ली. उन्हें अपना सारथी बनाया. और नरकासुर का वध किया. ये दिन चौदस का ही दिन था, जिसे नरक चौदस कहा जाने लगा. इस प्रकार भगवान कृष्ण ने हजारों स्त्रियों को नरकासुर की कैद से मुक्त करवाया. इसमें से कई स्त्रियां ऐसी थीं, जिनके परिजनों की नरकासुर ने हत्या कर दी थी. ऐसी निराश्रित स्त्रियां समाज में पूरे सम्मान ने साथ रह सकें, इसलिए भगवान ने 16,000 स्त्रियों को अपने नाम के रक्षासूत्र दिए, ताकि संपूर्ण आर्यावृत में इन स्त्रियों को श्रीकृष्ण की पत्नियों की तरह सम्मान मिल सके.

यम और बजरंगबली की पूजा विधि 

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छोटी दीवाली यानि आज पर पूरे घर में दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन यमराज और बजरंग बली की पूजा भी खासतौर से की जाती है. मान्यता है कि इस दिन यम का पूजन वालों को नरक में मिलने वाली यातानाओं और अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है.