
Diwali 2025 Date 20 or 21: दीयों से जुड़े जिस दीपावली महापर्व का इंतजार लोगों को पूरे साल बना रहता है उसे लेकर इस साल लोगों में आखिरी दिन तक कन्फ्यूजन बना हुआ है. लोग इस बात को लेकर अभी तक भ्रम में हैं कि इस साल वे धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी और शुभ-लाभ के देवता भगवान गणेश जी की पूजा किस दिन करें? कुछ ऐसा ही हाल बच्चों का भी है, वे भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि दिवाली के पटाखे किस दिन जलाएंगे? यदि आप भी अभी तक इस बात को लेकर अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पाएं हैं, तो चलिए हम देश के जाने-माने धर्माचार्यों के माध्यम से आपके इस कन्फ्यूजन को अभी दूर किये देते हैं.
क्या कहते हैं काशी के विद्वान

सबसे पहले बात बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की करते हैं, जहां के विद्वानों ने सर्वप्रथम इस मुद्दे पर धर्म शास्त्र के नियम और ज्योतिषीय गणना को आधार मानते हुए इस बात का ऐलान किया कर दिया था कि इस साल हर हाल में दिवाली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को ही मनाना उचित रहेगा. इसके लिए उन्होंने देश भर से आए धर्मचार्यों से संवाद और चिंतन-मंथन के बाद इस निर्णय को आमजन के लिए जारी किया. जिसका पत्र आप देख कर संतुष्ट हो सकते हैं.
क्या कहते हैं अयोध्या और वृंदावन के धर्माचार्य

अगर बात करें देश की सप्तपुरियों में से एक अयोध्या के श्री जानकी घाट, बड़ा स्थान के रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण कहते हैं कि अयोध्या में दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी क्योंकि निर्णय सिंधु में इसी दिन को ही उचित माना गया है. कुछ ऐसी ही बात वृंदावन के अखंड दया धाम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद भी कहते हैं कि दीपावली को लेकर कोई भी संशय नहीं है और इस साल 20 अक्टूबर को ही मनाने पर वह शुभ और फलदायी रहेगी.
उत्तराखंड में कब मनाई जाएगी दिवाली
सप्तपुरियों में से एक हरिद्वार और योगनगरी ऋषिकेश की बात करें तो यहां पर भी अधिकांश संत 20 अक्टूबर को दिवाली मनाए जाने की बात करते हैं. ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि जी के अनुसार शास्त्र सम्मत तरीके और पंचांग की गणना के अनुसार 20 अक्टूबर 2025 को ही दिवाली मनाया जाना उचित रहेगा.
बद्रीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी पं. भुवनचंद्र उनियाल के अनुसार जोशीमठ और बद्रीनाथ धाम में भी दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को ही मनाई जाएगी क्योंकि गणेश-लक्ष्मी की पूजा के लिए 21 अक्टूबर को समय नहीं मिल रहा है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी महाराज भी इस बात स्वीकार करते हैं कि जिन गृहस्थ लोगों को रात्रिकालीन पूजा करनी है, उन्हें 20 तारीख को ही दिवाली मनाना चाहिए, हालांकि वे खुद बतौर संत उदया तिथि को आधार मानते हुए 21 तारीख को दिन में पूजन करने की बात कहते हैं.
बाकी राज्यो में भी खत्म हुआ तारीख का संशय
यदि बात करें सप्तपुरियों में से एक जगन्नाथ पुरी की तो यहां के पंडित भी 20 अक्टूबर को दिवाली मनाए जाने की बात करते हैं. धर्मशास्त्र के जानकार पं. उमाकांता पांडा के अनुसार दिवाली को लेकर अब किसी भी प्रकार का कोई संशय नहीं रह गया है और पुरी और भुवनेश्वर में भी दिवाली 20 अक्टूबर को ही जाएगी. इसी प्रकार महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के पंडित दुर्गेश त्रिवेदी और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ज्योतिषाचार्य दीनदयाल भी 20 अक्टूबर के दिन ही दिवाली मनाए जाने की बात करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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