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This Article is From Nov 09, 2021

Chhath Puja 2021: जानिये छठ महापर्व में खरना का महत्व, यहां देखें अर्घ्य देने का सही समय

Chhath Puja 2021 Kharna: नहाय-खाय के साथ सोमवार को छठ पूजन का शुभारंभ हो चुका है. छठ पर्व में खरना (Kharna) का विशेष महत्व है. आज के दिन व्रत रखा जाता है और रात में रसिया (Rasiya) (खीर) का प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इस साल खरना का पर्व 9 नवंबर यानि आज (मंगलवार) मनाया जा रहा है.

Chhath Puja 2021: जानिये छठ महापर्व में खरना का महत्व, यहां देखें अर्घ्य देने का सही समय
Chhath Puja 2021: छठ पूजा में खरना का है खास महत्व, आज विधि-विधान से करें पूजा
नई दिल्ली:

देशभर में छठ पूजा की धूम मची हुई है. छठ पर्व की शुरुआत 8 नवंबर (सोमवार) को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. नहाय-खाय के बाद अगले दिन यानि आज (9 नवंबर 2021) खरना मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है. खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर, उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं. दरअसल, छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. खरना खास होता है, क्योंकि व्रती इसमें दिन भर व्रत रखकर रात में रसिया (Rasiya) (खीर) का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

खरना का महत्व

खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. इसे लोहंडा भी कहा जाता है. खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है. छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है. माना जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बता दें कि नहाय-खाय वाले दिन घर को साफ कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं. खरना वाले दिन व्रती सुबह स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. इसके अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद बनाया जाता है. रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रती छठ पूजा के पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं. इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है.

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छठ पूजा 2021 :  यहां देखें प्रथम अर्घ्य देने का सही समय

खरना के दिन प्रथम अर्घ्य देने का समय

  • 9 नवंबर को खरना किया जाएगा और शाम के समय अस्त होते सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा.
  • 9 नवंबर 2021 सूर्यास्त समय- 17:29:59.
  • झारखंड की राजधानी रांची में सूर्योदय का समय 5:07 PM है, जबकि सूर्य अस्त 6:00PM होगा.
  • जमशेदपुर में सूर्योदय का समय 5:04 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:56PM होगा.
  • डालटेनगंज में सूर्योदय का समय 5:10 PM है, जबकि सूर्य अस्त 6:06PM होगा.
  • बोकारो में सूर्योदय का समय 5:02 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:58PM होगा.
  • चाईबासा में सूर्योदय का समय 5:05 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:57PM होगा.
  • देवघर में सूर्योदय का समय 4:58 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:56PM होगा.
  • दुमका में सूर्योदय का समय 4:57 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:54PM होगा.
  • गिरिडीह में सूर्योदय का समय 5:00 PM है, जबकि सूर्य अस्त 5:57PM होगा.

खरना पर बनती है रसिया (खीर)

खरना के दिन खीर का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है, जिसे कुछ जगहों पर रसिया भी कहा जाता है. बता दें कि मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी की आग जलाकर ये प्रसाद बनाया जाता है. बदलते दौर में अब लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. खरना वाले दिन पूरियां और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है.

बता दें कि खरना के दिन प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल की खीर (Kheer) बनाई जाती है. इसके अलावा पूड़िया, ठेकुआ (Thekua), खजूर बनाया जाता है. पूजा के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का इस्तेमाल होता है. खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत की शुरुआत होती है. खरना के दिन से छठ पूजा समाप्त होने तक व्रत करने वाले लोग चादर बिछाकर सोते हैं.

खरना की विधि (Vidhi Of Kharna)

  • इस दिन महिलाएं और छठ व्रती सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करती हैं.
  • व्रती नाक से माथे के मांग तक सिंदूर लगाती हैं.
  • खरना के दिन व्रती दिन भर व्रत रखती हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं.
  • सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं.
  • इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.
  • मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मइया) का आगमन हो जाता है.

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