Chhath Puja 2021: बनारस में छठ महापर्व की बहार, दशा सुमेर घाट पर लोकगीतों ने बिखेरी छटा

Chhath Puja Song: कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत होती है. छठ के शुरुआत से ही बनारस के घाटों पर गायक कलाकारों की टोली भी अपने अंदाज में छठ मनाना शुरू कर देती है.

Chhath Puja 2021: बनारस में छठ महापर्व की बहार, दशा सुमेर घाट पर लोकगीतों ने बिखेरी छटा

Chhath Puja 2021: बनारस के घाट पर भोजपुरी कलाकारों ने गीतों से बिखेरी छठ की छटा, देखिये VIDEO

नई दिल्ली:

कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ के महापर्व की शुरुआत हो जाती है. छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है. इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की परंपरा है. छठ पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार-झारखंड से हुई है, जो अब देशभर में फैल चुकी है. दीपावली के 6 दिन बाद कार्तिक महीने की षष्ठी यानी छठी तिथि को लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है. सोमवार को नहाए-खाए के साथ ये पर्व शुरू हो गया है. इस पर्व में व्रती और महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. घाटों पर व्रती महिलाओं और पुरुषों की भीड़ आज से दिखने लगी है. छठ पर्व पर छठी मैया के लोकगीत का भी बड़ा महत्व है उन गीतों में छठ व्रत की पूरी परंपरा सुर लय और ताल में पिरोई रहती है लिहाजा छठ के शुरुआत से ही बनारस के घाटों पर गायक कलाकारों की टोली भी अपने अंदाज में छठ मनाना शुरू कर देती है. जानिये छठ पूजा का महत्व व पूजा विधि.

छठ के शुरुआत से ही बनारस के घाटों पर गायक कलाकारों की टोली भी अपने अंदाज में छठ मनाना शुरू कर देती है. इस साल भी बनारस के घाट पर गायकों की टोली छठ गीतों की महिमा गा रही है.

छठ पूजा का महत्व

मान्यता है कि छठ पूजा मुख्य तौर पर संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए होती है. साथ ही घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी यह पूजा की जाती है. छठ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना जाता है. छठी मैया की पूजा करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है. यह भी कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया था, तब उसे बचाने के लिए उत्तरा को भगवान श्रीकृष्ण ने षष्ठी व्रत यानि छठ पूजा करने की सलाह दी थी.

खरना का महत्व

खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. इसे लोहंडा भी कहा जाता है. खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है. छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है. माना जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परपंरा है. प्रसाद को काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है. खरना के बाद प्रसाद नए चूल्हे पर बनाया जाता है. खरना के दिन व्रती महिलाएं केवल एक ही समय भोजन ग्रहण करती हैं.

ये है छठ 2021 का शड्यूल.

  • 8 नवंबर 2021- (नहाय-खाय 2021).
  • 9 नवंबर 2021- (खरना 2021).
  • 10 नवंबर 2021- (डूबते सूर्य को अर्घ्य).
  • 11 नवंबर 2021- (उगते सूर्य को अर्घ्य).

छठ पूजा में चाहिए यह चीजें

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साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, पीतल या बास का सूप, दूध, जल, लोटा, शाली, गन्ना, मौसमी फल, पान, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि. बात दें कि सूर्य देव को छठ के दिन मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण की जाती है.