Chaitra Navratri 2023: मार्च यानी चैत्र माह में पड़ने वाली नवरात्रि चैत्र नवरात्रि कहलाती है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इसी क्रम में आज नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री (Ma Shailputri) का पूजन किया जा रहा है. मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री कहलाती हैं क्योंकि वह पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. मां शैलपुत्री की पूरे मनोभाव से पूजा करने पर माता रानी भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. भक्त आज के दिन मां शैलपुत्री के प्रिय रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं और माता की मनपसंद चीजें भी उन्हें अर्पित की जा सकती हैं.
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री हिमालय सी श्वेत नजर आती हैं. खासतौर से मां सफेद रंग के ही वस्त्र धारण करती हैं. माता का वाहन वृषभ है, मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल रहता है. मां शैलपुत्री को रोग, कष्ट, पीड़ा और किसी भी तरह की दरिद्रता से दूर करती है. मान्यतानुसार मां शैलपुत्री को सती भी कहा जाता है.
इस रंग के कपड़े पहने जा सकते हैंमान्यतानुसार मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए भक्त माता रानी के प्रिय रंगों के वस्त्र (Clothes) धारण कर सकते हैं. माना जाता है कि मां शैलपुत्री को सफेद और लाल रंग अतिप्रिय होता है. इस चलते नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए सफेद (White) या लाल रंग के कपड़े पहने जा सकते हैं.
मां शैलपुत्री की पूजामां शैलपुत्री का पूजन करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. माता रानी के लिए व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है. माता की चौकी सजाई जाती है और कलश स्थापना करते हैं. इसके पश्चात मां शैलपुत्री की प्रतिमा आसन पर विराजित कर पूजा की जाती है, आरती (Shailputri Aarti) करते हैं और भक्त माता को उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाते हैं. भोग में मां शैलपुत्री को सफेद रंग की मिठाई व फलाहार चढ़ाए जाते हैं. इसी भोग को पूजा के पश्चात प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
मां शैलपुत्री आरतीशैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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