
Chaitra Navratri 2025: आज 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन 5 अप्रैल को होगा. नवरात्रि के ये दिन देवी दुर्गा को नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं. नौ दिनों में देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इन दिनों में भक्त सच्ची निष्ठा से मां की आराधना करते हैं और उनके नाम का उपवास रखते हैं. इसके अलावा कई लोग इन नौ दिनों में देवी के मंदिर में दर्शन के लिए जानें की भी योजना बनाते हैं. माना जाता है कि खासकर नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ के दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और भक्तों को दुख-दर्द से मुक्ति मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत से अलग विदेशों में भी माता रानी के शक्तिपीठ हैं? अगर नहीं, तो यहां हम आपको इन्हीं के बारे में बता रहे हैं.
इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर माता के ये शक्तिपीठ कब और कैसे स्थापित हुए-
शास्त्रों के अनुसार, जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, उनके वस्त्र और आभूषण गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ का उदय हुआ. इस प्रकार देवी पुराण में कुल 51 शक्तिपीठों का वर्णन किया गया है. इसमें से 42 शक्तिपीठ भारत में हैं, जबकि अन्य 9 शक्तिपीठ 5 अलग-अलग देशों में मौजूद हैं.
भारत से अलग इन देशों में हैं मां के शक्तिपीठनेपाल (Nepal)लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है नेपाल का. यहां माता रानी के 2 शक्तिपीठ हैं. इनमें से पहला है गुहेश्वरी मंदिर. मान्यताओं के अनुसार, नेपाल के काठमांडू स्थित इस मंदिर में देवी सती के दोनों घुटने गिरे थे. गुहेश्वरी मंदिर में देवी को महामाया के रूप में पूजा जाता है.
वहीं, दूसरा शक्तिपीठ नेपाल गंडक नदी के पास स्थित है. इसे गंडकी शक्तिपीठ कहा जाता है. माना जाता है कि इस स्थल पर माता का बायां गाल गिरा था. गंडकी शक्तिपीठ में देवी गंडकी के रूप में पूजित हैं.
बांग्लादेश (Bangladesh)
बांग्लादेश में माता रानी के 4 शक्तिपीठ हैं.
- महालक्ष्मी पीठ: मान्यताओं के अनुसार, सिलहट जिले के जैनपुर गांव के पास माता का गला गिरा था. इसे अब देवी महालक्ष्मी पीठ के नाम से जाना जाता है. यहां माता महालक्ष्मी के रूप में पूजित हैं.
- सुगंधा पीठ: सुनंदा नदी के किनारे स्थित इस स्थल पर माता की नासिका गिरी थी. यहां देवी सुगंधा के रूप में पूजित हैं.
- भवानी पीठ: सीता कुंड स्टेशन के पास इस स्थल पर माता की दाहिनी भुजा गिरी थी. यहां देवी भवानी के रूप में पूजित हैं.
- यशोरेश्वरी पीठ: खुलना जिले में स्थित इस स्थल पर माता की हथेली गिरी थी. यहां माता को यशोरेश्वरी के नाम से पूजा जाता है.
मान्यता है कि श्रीलंका में माता की पायल गिरी थी. यह स्थल ट्रिंकोमाली में स्थित माना जाता है. श्रीलंका में माता को इंद्रक्षी के रूप में पूजा जाता है.
तिब्बत (Tibet)इन सब से अलग माता रानी का एक शक्तिपीठ तिब्बत में है. इसे मनसा पीठ कहा जाता है. मानसरोवर झील के पास इस स्थल पर माता सती का दायां हाथ गिरा था. यहां देवी दाक्षायणी के रूप में पूजित हैं.
मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के दौरान इन शक्तिपीठों की यात्रा और दर्शन से भक्तों को विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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