Navratri 2021 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए मंत्र और महत्व

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. नवरात्रि में पूजी जाने वाली मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरुप हैं.

Navratri 2021 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए मंत्र और महत्व

Navratri 2021: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा.

नई दिल्ली:

Chaitra Navratri 2021 Day 2: चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. नवरात्रि में पूजी जाने वाली मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरुप हैं. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी देवी का पूजन करने से सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है. यह भी मान्यता है कि मां के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी भी माना जाता है. इसलिए कहा जाता है कि विद्यार्थियों के लिए इनकी पूजा करना बहुत शुभ फलदायी होता है.  

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप
ब्रह्मचारिणी नाम ब्रह्म ने बना है. ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का मतलब होता है आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. ब्रह्मचारिणी मां के दाहिने हाथ में जप करने वाली माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी. इसी वजह से उन्हें तपश्चारिणी भी कहते हैं.

ब्रह्मचारिणी की पूजा करते वक्त ये मंत्र पढ़ें 
या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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कैसे मनाया जाता है नवरात्रि का त्‍योहार?
नवरात्रि का त्‍योहार पूरे भारत में मनाया जाता है. उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और अखंड ज्‍योति जलाई जाती है. फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है. चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को राम नवमी कहते हैं. हिन्‍दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. रामनवमी के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है. रामनवमी के दिन पूजा की जाती है. इस दिन मंदिरों में विशेष रूप से रामायण का पाठ किया जाता है और भगवान श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही भजन-कीर्तन कर आरती की जाती है और भक्‍तों में प्रसाद बांटा जाता है.