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This Article is From Apr 06, 2021

Chaitra Navratri 2021: कब से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि? जानिए घटस्थापना का मुहूर्त, महत्व और व्रत के नियम

Happy Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं. चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्‍दू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से शुरू होकर 21 अप्रैल 2021 को समाप्त होगी.

Chaitra Navratri 2021: कब से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि? जानिए घटस्थापना का मुहूर्त, महत्व और व्रत के नियम
Chaitra Navratri 2021: कब से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि?
नई दिल्ली:

Happy Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं. चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्‍दू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं. 

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल चैत्र (Chaitra) महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है. साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाती हैं. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (Marathi New Year) के तौर पर भी जाना जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि (Ugadi) के रूप में मनाया जाता है.  इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से शुरू होकर 21 अप्रैल 2021 को समाप्त होगी.

चैत्र नवरात्रि की तिथियां 
- 13 अप्रैल 2021: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना और शैलपुत्री पूजन. 

- 14 अप्रैल 2021: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन.

- 15 अप्रैल 2021:  नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.

- 16 अप्रैल 2021: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन.

- 17 अप्रैल 2021: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन.

- 18 अप्रैल 2021: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन, कात्‍यायनी पूजन.

- 19 अप्रैल 2021: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कालरात्रि पूजन.

- 20 अप्रैल 2021: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन.

- 21 अप्रैल 2021: नवरात्रि का नौवां दिन, राम नवमी, सिद्धिदात्री पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण

घटस्थापना का महत्व
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 13 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना शुभ फलकारी माना गया है. 

घटस्थापना का मुहूर्त
13 अप्रैल मंगलवार के दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक घटस्थापना कर सकते हैं.

नवरात्रि का महत्‍व
चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है. वहीं शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) के दौरान दशहरा मनाया जाता है. बता दें, हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं.  

कैसे मनाया जाता है नवरात्रि का त्‍योहार?
नवरात्रि का त्‍योहार पूरे भारत में मनाया जाता है. उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और अखंड ज्‍योति जलाई जाती है. फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है. चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को राम नवमी कहते हैं. हिन्‍दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. रामनवमी के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है. रामनवमी के दिन पूजा की जाती है. इस दिन मंदिरों में विशेष रूप से रामायण का पाठ किया जाता है और भगवान श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही भजन-कीर्तन कर आरती की जाती है और भक्‍तों में प्रसाद बांटा जाता है.

नवरात्रि व्रत के नियम
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए. 
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें. 
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं. 
- शाम के समय मां की आरती उतारें. 
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें. 
- फिर भोजन ग्रहण करें. 
- हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें. 
- अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें. 
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

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