विज्ञापन

देव प्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णु 4 माह बाद योगिनिंद्रा से जागेंगे, तुलसी विवाह के साथ शुरू हो जाएंगे सभी मांगलिक कार्य

कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का फिर से संचालन करते हैं.

देव प्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णु 4 माह बाद योगिनिंद्रा से जागेंगे, तुलसी विवाह के साथ शुरू हो जाएंगे सभी मांगलिक कार्य
मान्यता है कि देव उठनी एकादशी को व्रत रखने से धन और वैभव में वृद्धि होती है.

Importance of Dev Uthani Ekadashi 2024 ; कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इस वर्ष देवउठनी एकादशी 12 नवंबर  मंगलवार को है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का फिर से संचालन करते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन चार माह से रुके हुए  शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. इसी दिन तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का आयोजन भी किया जाता है. इन सभी कारणों से देवउठनी एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी का महत्व (Importance of Dev Uthani Ekadashi).

नए साल में कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति और क्यों बनाई जाती है इस दिन खिचड़ी, जानिए यहां

देवउठनी एकादशी से जुड़ी खास बातें

मान्यता है कि देव उठनी एकादशी को व्रत रखने से धन और वैभव में वृद्धि होती है.  इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा बेहद फलदाई होती है. इस दिन चातुर्मास खत्म होता है और तुलसी विवाह की परंपरा निभाई जाती है. इस वर्ष देवउठनी एकादशी के दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और हर्षण योग बन रहे हैं.

देव प्रबोधिनी एकादशी की पूजा विधि

 देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन स्नान के बाद घर के आंगन या बालकनी में चौक बनाकर श्रीहरि के चरण बनाएं. भगवान को पीले वस्त्र पहनाए और शंख बजा कर भगवान को उठाएं. इस खास मंत्र का जाप करें.

Latest and Breaking News on NDTV

उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥

मंत्र जाप के बाद  भगवान विष्णु को तिलक लगाएं. श्रीफल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं. आरती कर कथा सुनें. प्रभु को पुष्‍प अर्पित कर इस मंत्र का जाप करें.

‘इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता.

त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषशायिना..

इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो.

न्यूनं संपूर्णतां यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन..'

तुलसी विवाह : देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी मैया और शालिग्राम की पूजा करनी चाहिए. तुलसी माता को लाल चुनरी और सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें. इसके बाद गणेश भगवान सहित सभी देवीदेवताओं और शालिग्रामजी की विधि विधान से पूजा करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com