Annapurna Jayanti 2022: इस साल कब है अन्नपूर्णा जयंती, जानें इस दिन क्या करना होता है शुभ

Annapurna Jayanti 2022: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. पूजा के इतर इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से दरिद्रता को दूर किया जा सकता है. यहां जानिए जन्नपूर्णा जयंती कब है.

Annapurna Jayanti 2022: इस साल कब है अन्नपूर्णा जयंती, जानें इस दिन क्या करना होता है शुभ

Annapurna Jayanti 2022: अन्नपूर्णा जयंती पर अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा की उपासना की जाती है.

Annapurna Jayanti 2022 Date: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इस तिथि पर माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप धारण किया था. इस साल ये 07 दिसंबर 2022 को है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन रसोईघर में चूल्हे आदि का पूजन करने से घर परिवार में कभी भी अन्न और धन-धान्य की कमी नहीं रहती. वैसे तो अन्न का अनादर कभी नहीं करना चाहिए, लेकिन इस दिन खास सावधानी बरतनी चाहिए. माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है. 

अन्नपूर्णा जयंती 2022 मुहूर्त | Annapurna Jayanti 2022 Date, Time

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 07 दिसंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 01 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी की 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर पूर्णिमा तिथि की समाप्ति है.

अन्नपूर्णा जयंती 2022 पूजन विधि

माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं. इसलिए इस दिन रसोई घर साफ रखना चाहिए और गंगा जल छिड़ककर घर को शुद्ध करना चाहिए.

इसके बाद भोजन पकाने वाले चूल्हे का हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प, धूप और दीपक जलाकर पूजन करें.

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इसके बाद रसोई में ही माता पार्वती एवं भगवान शंकरजी की पूजा भी करें.

मां अन्नपूर्णा की पूजा भी रसोई घर में ही उपरोक्त विधि से करते हुए प्रार्थना करें कि हे माता हमारे घर-परिवार में सदैव अन्न जल भरा रहे.

पूजन करने के बाद अपने घर में बना हुआ भोजन गरीबों को जरूर खिलाएं.

ऐसे हुई थी मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति 

  • ऐसी मान्यता है कि एक समय जब धरती पर पानी और अन्न समाप्त होने लगा जिससे चारों ओर हाहाकार मचने लगा तब मनुष्यों ने अन्न की समस्या से मुक्ति के लिए भगवान ब्रह्माजी एवं विष्णुजी की आराधना प्रारंभ कर दी.

  • मनुष्यों की करुण पुकार सुनकर श्री ब्रह्म देव एवं श्री विष्णु जी ने आदिदेव भगवान शिवजी की आराधना कर उन्हें योग मुद्रा से जगाया.

  • भगवान शिव ने पृथ्वी का भ्रमण किया और इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप और भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण किया.

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  • भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर पृथ्वी वासियों के बीच वितरित की. तभी से सभी देवों के साथ धरती के मनुष्यों ने भी मां अन्नपूर्णा की पूजा आराधना आरंभ कर दी.

  • जिस दिन मां अन्नपूर्णा की उत्पत्ति हुई, वह मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी. इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन अन्न दान का विशेष महत्व है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)