Margashirsha Purnima 2022: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Margashirsha Purnima 2022: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का खास महत्व है. इस दिन स्नान और दान का खास महत्व है. जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि के बारे में.

Margashirsha Purnima 2022: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Margashirsha Purnima 2022: इस दिन रखा जाएगा मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत.

Margashirsha Purnima 2022: मार्गशीर्ष महीने को धार्मिक ग्रंथों में सबसे उत्तम माना गया है. इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना गया है. इसके साथ ही इस महीने की पूर्णिमा को अत्यधिक महत्व दिया गया है. कहा जाता है कि यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए खास होता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके दान करते हैं. इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या की तारीख शुभ मुहूर्त और चंद्र देव की पूजा के बारे में जानते हैं.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 तिथि


हिंदू पचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत इस साल 7 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा. संयोग से इस दिन दत्तात्रेय जंयती भी मनाई जाएगी. ऐसे में इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ सुबह 8 बजकर 01 मिनट से शुरू होगी. वहीं पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 8 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर होगी. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व


शास्त्रों के मुताबिक मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण 16 कलाओं से सुशोभितो होता है. मान्यतानुसार इस दिन पवित्र नदी या तुलसी की जड़ की मिट्टी को जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान 32 गुणा अधिक पुण्य देता है. इसके अलावा इस दिन दान करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के बाद कच्चे दूध में मिश्री और चावल मिलाकर चंद्र देव को अर्पित करना चाहिए. 

Ketu Mahadasha Upay: 7 साल की होती है केतु की महादशा, जानें इसका प्रभाव और खास उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि


चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा के उदय के साथ चंद्रमा का आह्वाहन, आचमन, अर्घ्य, स्नान करकर और रोली और चावल से तिलक कर पूजा करें. पूजा के दौरान चंद्र को फूल अर्पित करना न भूलें. फूल अर्पित करने के पश्चात धूप, दीप करके प्रसाद का भोग लगाएं और ग्रहण करें.


इस मंत्र का करें जाप 


दर्शन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा के वक्त 'ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्' मंत्र का जप करें. पौराणिक मान्यता है कि चंद्र दर्शन के दौरान विधि-विधान से पूजा करने और मंत्र का जप करने से मानसिक तनाव से छुटकारा और गुस्से पर कंट्रोल रहता है.

Belpatra Astro Benefits: घर में बेलपत्र को लगाने के लिए क्या हैं नियम, यहां जानिए इसे लगाने की सही दिशा


दान


पूर्णिमा के दिन दान देना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. लोग इस दिन ब्राह्मणों को कपड़े, चावल और चीनी समेत अन्य चीजों का दान करते हैं.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.