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This Article is From Jan 14, 2022

जानिए कैसे और कहां मनाया जाता है पोंगल का त्योहार

पोंगल तमिलनाडु में चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है. आज पहला दिन भोंगी पोंगल के रुप में मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान इंद्रदेव की पूजा की जाती है. लोहड़ी (Lohri) पर्व की तरह ही इसे भी किसानों द्वारा फसल के पक जाने की खुशी में धूमधाम से मनाया जाता है.

जानिए कैसे और कहां मनाया जाता है पोंगल का त्योहार
जानिए इस महीने 14 या 15 कब होगा पोंगल सेलिब्रेशन
नई दिल्ली:

पूरे भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जा रहा है. तमिलनाडु (TamilNadu) में इसे पोंगल ( Pongal) और गुजरात में इसे उत्तरायण (Uttarayan) कहते हैं. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहला दिन भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) के रूप में मनाया जाता है. भोगी पोंगल का दिन देवराज इंद्र को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान से इनकी पूजा-अर्चना होती है. प्रदेश के लोग इस दिन देवराज इंद्र (Devraj Indra) से अच्छी बारिश और अच्छी फसल की कामना के लिए प्रार्थना करते हैं. दक्षिण भारत (South India) में इस पर्व को नए साल के रूप में मनाते हैं. यह त्योहार तमिल महीने 'तइ' की पहली तारीख से शुरू होता है. जानिए इस साल किस दिन मनाया जाएगा पोंगल (Pongal Festival) का त्योहार.

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क्यों मनाते हैं पोंगल | Pongal 2022 Significance

पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है, जिसे इस साल 14 से 17 जनवरी के बीच सेलिब्रेट किया जा रहा है. आज पहले दिन पोंगल की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 बजकर 12 मिनट से है. पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) के रूप में मनाया जाता है. दूसरे दिन सूर्य के उत्तरायण होने के बाद सूर्य पोंगल पर्व मनाया जाता है. वहीं, तीसरे दिन मात्तु पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि लोहड़ी (Lohri) पर्व की तरह ही इसे भी किसानों द्वारा फसल के पक जाने की खुशी में धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, पोंगल पर समृद्धि लाने के लिए वर्षा, सूर्य देव, इंद्रदेव और मवेशियों को भी पूजा जाता है.

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कैसे मनाया जाता है पोंगल | How is Pongal celebrated

पोंगल (Pongal) के दिन विशेष रूप से सूर्य देव का पूजन किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से सूर्य देव की उपासना के बाद जो भोग लगाया जाता है, उसे पगल कहते हैं. पोंगल के पहले दिन यानि भोगी पोंगल (Bhogi Pongal) को सुबह उठकर स्नान करके नए कपड़े पहने जाते हैं. इस दिन नए बर्तन में दूध, चावल, काजू, गुड़ आदि चीजों की मदद से पोंगल का भोज तैयार किया जाता है. इस दिन मवेशियों की भी पूजा की जाती है. इस दिन किसान सुबह-सवेरे अपनी बैलों को स्नान कराकर, उन्हें खूब सजाते हैं. दक्षिण भारत के कई हिस्सों में इस त्योहार से जुड़ी एक और प्रथा है. इस प्रथा के मुताबिक, लोग घरों से पुराना सामान निकाल कर नया सामान लाते हैं. साथ ही नए-नए कपड़े पहनकर इस त्योहार का जश्न मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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