बलूचिस्तान 77 साल से पाकिस्तान के अवैध कब्जे के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा है. वो बलूचिस्तान जिसपर कुदरत ने खनिज संसाधनों की बड़ी नेमत बख़्शी है लेकिन जिसके बाशिंदे अपने बुनियादी हकों, रोटी, कपड़ा और मकान और एक चैन की जिंदगी के लिए तरस रहे हैं. गिलगित बाल्टिस्तान और खैबर पख्तून ख्वाह की ही तरह बलूचिस्तान भी गुस्से से उबल रहा है. अपने इलाके में पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए बलूचों की कई पुश्तें खुद को कुर्बान कर चुकी हैं. पाकिस्तान की हुकूमत जिस पर फौज की जकड़बंदी रही है उसके बूटों के तले बलूचिस्तान के लोगों की सिसकियां, उनकी दर्द भरी दास्तानें दबी हुई हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उन पर वैसी नजर नहीं पड़ रही जैसी पड़नी चाहिए थी.

बलूच लोगों का मानना है कि उनके मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है
ये वो तस्वीरें हैं जो बता रही हैं कि पाकिस्तान की सेना बलूचिस्तान के लोगों के साथ किस तरह का बर्बर व्यवहार करती आई है. बलूचों का सरेआम अपहरण और कत्ल पाकिस्तान की सेना और अन्य सुरक्षा बलों का रोज का काम हो चुका है. बलूच महिलाओं को भी पाकिस्तान ने इस दुर्व्यवहार से नहीं बख्शा. ये तस्वीर इस बात की तस्दीक करती हैं कि अपने बच्चों की खातिर एक आजाद बलूचिस्तान की मांग करने वाली महिलाओं के साथ भी पाकिस्तान का क्या व्यवहार रहा है. बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ रहे हथियारबंद संगठन बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी की मीडिया विंग हक्काल ने अपने सबसे ताजा वीडियो में ये तस्वीरें जारी की हैं. एक अलग राष्ट्रीयता वाले बलूचों का आरोप है कि पाकिस्तान उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है और बदले में बलूच लोगों को उनका हक देने के बजाय उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है. इसी के ख़िलाफ बलूचिस्तान में लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. यही नहीं बीते कई साल में हज़ारों बलूच लोग लापता भी हुए हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से अब तक 10 हजार से ज़्यादा बलूच लोग लापता हो चुके हैं. बलूच लोग मानते हैं कि वो या तो पाकिस्तान के सुरक्षा बलों की कैद में हैं या उन्हें मार दिया गया है.

बलूचिस्तान के साथ पाकिस्तान ने लगातार जो नाइंसाफी और भेदभाव किया है उसका नतीजा ये है कि आज बलूचिस्तान अपनी आजादी की मांग को काफी तेज कर चुका है. जब शांतिप्रिय बलूचों की नहीं सुनी गई तो बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी और बलूचिस्तान लिब्रेशन फ्रंट जैसे हथियारबंद संगठनों ने ये मुहिम अपने हाथ में ली और बीते कुछ दशकों में पाकिस्तान की सेना को उसके ज़ुल्मो सितम के जवाब में जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है.

11 मार्च को जब बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने किया था घातक हमला
बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने ऐसा ही एक घातक हमला इस साल 11 मार्च को किया जब उन्होंने बलूचिस्तान के एक बीहड़ बोलान इलाके में 400 यात्रियों को ले जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाइजैक कर लिया. बीएलए ने इसे ऑपरेशन दर्रा ए बोलान 2.0 बताया. करीब 30 घंटे तक चले इस ट्रेन हाइजैक को खत्म कराने के लिए पाकिस्तान की सेना को आना पड़ा. पाकिस्तान की सेना ने दावा किया कि उसने 354 यात्रियों को बचा लिया और 33 बीएलए लड़ाकों को मार गिराया. पाकिस्तान के 18 सैनिक ऑपरेशन में मारे गए. उधर बलूच लिब्रेशन आर्मी का दावा है कि सेना के 50 लोग मारे गए. इन दावों प्रतिदावों के बीच बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने पहली बार इस ट्रेन हाइजैक से जुड़ी सनसनीखेज तस्वीरें जारी की हैं और ये भी बताया है कि बलूचिस्तान को ऐसे हमलों के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा है. उन्हें बंदूक क्यों उठानी पड़ी है.
एक व्यक्ति ने कहा, हमारा संघर्ष और युद्ध ऐसे मुकाम पर आ गया है जहां हमको ऐसे मुश्किल फैसले लेने पड़ रहे हैं. हमारे युवा ऐसे फैसलों को लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्हें पता है कि ऐसे फ़ैसलों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. बंदूक को रोकने के लिए बंदूक ही चाहिए. बंदूक की गोली से निकली आवाज कहीं पहुंच सकती है. बलोच युवा पुरुषों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आज दुश्मन पर बेझिझक हमला करने का फैसला लिया है.

ऑपरेशन दर्रा ए बोलान 2.O
हमने पहले भी कहा है, हम फिर कह रहे हैं और हम कल भी दोहराएंगे कि हमारे सामने युद्ध छेड़ने के अलावा कोई और रास्ता नहीं रह गया है. कोई और विकल्प होगा भी नहीं. इस दुश्मन और उसके एजेंटों के ख़िलाफ हम खड़े होंगे और पूरी तीव्रता के साथ एक तेज र बेदर्द युद्ध शुरू करेंगे.
बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने ऑपरेशन दर्रा ए बोलान 2.O को बड़ी ही तैयारी के साथ अंजाम दिया. BLA द्वारा जारी वीडियो में दिखाया गया है कि किस तरह बलूच लड़ाकों ने काफी पहले से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. बीएलए की फिदायीन ट्रेनिंग के शॉट्स बता रहे हैं कि उन्हें बड़ी ही बारीकी से इस दुस्साहसी ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया. कोई कसर नहीं छोड़ी गई. बलूचिस्तान के बीहड़ों में लड़ाकों को अचूक हमले करने और ग्रेनेड दागने की ट्रेनिंग दी गई. वीडियो में कई बीएलएल लड़ाकों की तस्वीरें दिखाई गईं जिनमें से कई की चेहरों को वीडियो में छुपाया भी गया है.

हमले से पहले सभी लड़ाकों को फाइनल कॉम्बैट ब्रीफिंग दी गई. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि बलूचिस्तान की पहाड़ियों में किसी वीरान, दूर दराज इलाके में बलूच कमांडर अपने साथियों को बता रहा है कि ट्रेन पर किस तरह से हमला किया जाएगा. यहां एक सैंड मॉडल के चारों ओर लड़ाके बैठे दिख रहे हैं और उनका लीडर ये कहता सुनाई दे रहा है कि जिस इलाके में जाफर एक्प्रेस को अगवा करना है उसका भौगोलिक नक्शा कैसा होगा, किन लड़ाकों को ट्रेन को रोकना है, किन्हें यात्रियों को बंधक बनाना है और किन लड़ाकों को मदद के लिए आने वाली पाकिस्तानी फौज और उसके हेलीकॉप्टरों को रोकना है. इस दौरान पूरे इलाके का एक छोटा मॉडल बनाया गया जिसमें ट्रेन की पटरी और ट्रेन का मॉडल भी साफ दिख रहा है. बताया गया कि सुरंग में पहुंचने से पहले ही ट्रेन को कैसे रोक कर हाइजैक कर लेना है.
बीएलए कमांडर ने कहा, हमारा मकसद ट्रेन को रोकना है, यात्रियों को बंधक बनाना है और मदद के लिए मौके पर पहुंचने वाले फौजी हेलीकॉप्टरों पर हमला करना है. मौके पर हमें सेना के जवानों के साथ आमना-सामना कर उन्हें रोक लेना है. फौजियों के साथ ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी जवान तैनात होंगे. ट्रेन पर हमला करने वाला ग्रुप यहां पोज़ीशन लेगा जबकी बाकी बैक कवर देने के लिए यहां तैनात होंगे. फिर बाकी दो ग्रुप ट्रेन पर हमला करेंगे. ट्रेन के इंजन को काबू में करने के बाद दो साथी यहां रहेंगे. जबकि बाकी साथी लड़ाके पहले से यहां होंगे. सावधानी के साथ ट्रेन खाली कराने के बाद बाकी साथी लड़ाके यात्रियों को बंधक बनाकर रखेंगे.

बीएलए के हक्काल मीडिया ने जारी किया है वीडियो
बीएलए के हक्काल मीडिया द्वारा जारी किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि फाइनल कॉम्बैट ब्रीफिंग के बाद सभी लड़ाके ऑपरेशन को अंजाम देने निकल जाते हैं. घातक हथियारों से लैस बीएलए लड़ाके बलूचिस्तान का झंडा लिए पहाड़ियों के बीच से होते हुए जा रहे हैं. जोश बढ़ाने के लिए वो गीत गाते हुए जा रहे हैं.
इसके बाद ऑपरेशन दर्रा ए बोलान 2.0 के तहत ट्रेन को हाइजैक करने से जुड़ी तस्वीरें हैं. साफ दिख रहा है कि बीएलए ने इस ऑपरेशन की हर तैयारी को न सिर्फ ठीक से अंजाम दिया बल्कि दुनिया को दिखाने के लिए उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की ताकि पाकिस्तान किसी तरह का अन्य प्रोपेगैंडा न कर पाए. वीडियो में साफ दिख रहा है कि इस बीहड़ बोलान इलाके में जिस रास्ते से ट्रेन गुज़रती है उसके आसपास की पहाड़ियों पर बीएलए के लड़ाके पोज़ीशन लिए बैठे हुए हैं.
फिर वीडियो में एक धमाका दिखाई देता है. जो ट्रेन की पटरी पर किया गया. बीएलए के लड़ाकों ने पटरी को ही उड़ा दिया ताकि जाफर एक्सप्रेस उससे आगे सुरंग में न जा पाए. बीएलए के लड़ाकों ने दूसरी ओर की पहाड़ी के ऊपर से ये वीडियो लिया है. इसी के साथ बीएलए ने अपने वीडियो में बताया है कि उसे जाफ़र एक्सप्रेस को हाइजैक क्यों करना पड़ा.

BLA ने 11 मार्च 2005 को पाकिस्तान की सेना के खिलाफ शुरू किया था बड़ा ऑपरेशन
बलूचिस्तान पर कब्ज़ा जमाए पाकिस्तान और उसकी सेना को इतिहास का सबसे घातक झटका देने और बलूच राष्ट्रीय संघर्ष के इतिहास के बड़े हमले को अंजाम देने के लिए BLA ने 11 मार्च 2005 को पाकिस्तान की सेना के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया. ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान को एक स्पष्ट और ऊंची चेतावनी देना है कि बलूचिस्तान पर उसका कब्ज़ा लंबे समय तक नहीं रहेगा. मजीद ब्रिगेड के 5 बहादुर फिदायीनों और स्पेशनल टैक्टिकल ऑपरेशन्स स्क्वॉड समेत BLA के कई लड़ाकों ने इस कामयाब ऑपरेशन को अंजाम दिया. जाफर एक्सप्रेस पर कब्जा किया और पाकिस्तानी फौज के 214 लोगों को बंधक बनाया. एक पेशेवर अनुशासन भरी राष्ट्रीय मिलिटरी फोर्स होने के नाते BLA ने आम नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया. इसके साथ ही बोलान के मशकाफ इलाके में अंतरराष्ट्रीय युद्ध के सिद्धांतों का भी पालन किया.
पटरी पर धमाके के बाद जैसे ही ट्रेन रुकी तो बीएलए के लड़ाकों ने फ़ायरिंग शुरू कर दी और फिर ट्रेन में चढ़ गए. उन्होंने आम यात्रियों से कहा कि वो बाहर निकल जाएं, हम गोली नहीं चलाएंगे. कई लोग ट्रेन से हाथ खड़े कर बाहर निकल आए. इसके बाद बीएलए के लड़ाकों ने एक एक कर ट्रेन के सभी डिब्बे खाली कराए. ट्रेन के डिब्बों में यात्रियों का सामान बिखरा पड़ा दिखा. लोगों को ट्रेन से कुछ दूर बिठा दिया गया. वीडियो में कई लड़ाके ये कहते सुने जा रहे हैं कि कुछ लोग परिवारों के साथ हैं, उन्हें न छेड़ा जाए. इसके अलावा यात्रियों में कुछ बलूच और अल्पसंख्यक भी हैं उन्हें भी परेशान न किया जाए. फिर कुछ लड़ाके कहते सुने जा रहे हैं कि ट्रेन को हाइजैक कर लिया गया है, सबको बाहर निकाल दिया है और ट्रेन हमारे कब्ज़े में है. बीएलए के लड़ाके आपस में बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि पाकिस्तान के फौजियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है, उनके हथियार छीन लिए गए हैं. ये भी कह रहे हैं कि सेना को पीछे धकेल दिया है और एक ड्रोन भी मार गिराया गया है. कुछ को ये कहते भी सुना गया कि पाकिस्तान के दो फौजियों को मार दिया है, मदद के लिए अभी तक कोई नहीं आया है.

बलूचिस्तान से पाकिस्तान की फौज को पीछे हटना ही पड़ेगा!
बीएलए के मुताबिक ट्रेन हाइजैक के दौरान उसकी मजीद ब्रिगेड के पांच फिदायीनों के साथ फतह स्क्वॉड के चार लड़ाके और स्पेशल टैक्टिक्स ऑपरेशन स्क्वॉड के तीन लड़ाके बहादुरी के साथ लड़े और शहीद हो गए. ये भी कहा कि बलूचिस्तान की मिट्टी में मिला उनका खून बेकार नहीं जाएगा और वो बलूचिस्तान के इतिहास में शामिल हो गए हैं. वीडियो में कहा गया कि बलूचिस्तान से पाकिस्तान की फौज को पीछे हटना ही पड़ेगा वर्ना उन्हें बीएलए का इससे भी भयानक हमला झेलना पड़ेगा. वीडियो में बीएलए का एक लड़ाका उर्दू में बता रहा है कि किस तरह से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को तबाही के गर्त में धकेल दिया है.
जाफर एक्सप्रेस हाइजैक बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग में एक मील का पत्थर बन चुका है लेकिन बीएलए के ये लड़ाके सिर्फ़ लड़ाके भर नहीं हैं. उनके संघर्ष की बुनियाद में एक फलसफ़ा है आज़ाद बलूचिस्तान का, उसके उज्ज्वल भविष्य का. बलूचिस्तान के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में बीएलए का अच्छा ख़ासा नेटवर्क बन चुका है. कबीलाई सरदारों की पारंपरिक पकड़ से बाहर बीएलए ने बलूच लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है. बीएलए एक रूढ़ीवादी बलूचिस्तान के उलट एक तरक्कीपसंद और उदार समाज के पक्ष में हैं. उसके लड़ाकों का दावा है कि वो पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आज़ादी के साथ-साथ बलूच समाज में अंदरूनी सुधारों के लिए भी लड़ रहे हैं. गैर पारंपरिक रुख के कारण बीएलए युवा और शिक्षित बलूचों के बीच ज़्यादा लोकप्रिय है. संघर्ष करती इस युवा पीढ़ी के बीच अपनी आज़ादी के लिए कुर्बान होने वाले लड़ाकों के लिए ऐसे तराने तैरते रहते हैं.
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