प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
बीते कुछ सालों से सर्दी के दस्तक देते ही दिल्ली गैस की चेंबर में तब्दील हो जाती है. इस बार फिर दिल्ली के प्रदूषण के स्तर में जिस तरह के बढ़ोतरी देखी जा रही है, उससे स्पष्ट होने लगा है कि एक बार फिर से दिल्लीवाले प्रदूषण की मार झेलने वाले हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के लिए कभी गाड़ियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो कभी पड़ोसी राज्यों में जलने वाले पराली को. हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले ही आगाह कर चुके हैं कि दिल्ली एक बार फिर से भयानक प्रदूषण की चपेट में आने वाली है. मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ के ताजा रिपोर्ट पर नजर दौड़ाएं तो दिल्ली में प्रदूषण के पांच कारण बताए गये हैं.
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पहला कारण: दिल्ली के प्रदूषण में अहम योगदान बाहरी राज्यों से आने वाली करीब 45 लाख गाड़ियों (प्राइवेट कार और ऑल इंडिया टैक्सी, साथ ही बाहर की टैक्सियां ओला-ऊबर भी शामिल हैं) और दिल्ली में जरुरी सामान पहुंचाने वाले ट्रकों का है. चूंकि ज्यादातर गाड़ियां डीजल या पेट्रोल से चलती हैं इसलिए इनका योगदान ज्यादा है. दिल्ली की 1 करोड़ से ज्यादा गाड़ियों के साथ बाहरी राज्यों की गाड़ियों का योगदान 40 फीसदी प्रदूषण दिल्ली में फैलाते हैं. दिल्ली की सड़कों की औसत रफ्तार 30 से 40 किमी प्रति घंटे से घटकर 20 से 22 किमी प्रति घंटा रफ्तार होने से गाड़ियां ज्यादा प्रदूषण फैला रही है. 2010 में 30 फीसदी प्रदूषण गाड़ियों के चलते होता था जो अब बढ़कर 40 फीसदी हो चुका है.
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दूसरा कारण: दिल्ली के प्रदूषण में दूसरा योगदान दिल्ली में उद्योग और लैंडफिल साइट का है जिनके चलते करीब 23 फीसदी प्रदूषण होता है. इसमें अकेले भलस्वा, गाजीपुर और ओखला के लैंडफिल साइट से निकलने वाले धुंआ, उड़ता कचरा और कचरे से बिजली बनाने वाले कारखाने का योगदान करीब 10 फीसदी है.
तीसरा कारण: प्रदूषण का तीसरा कारण दिल्ली की हवा है. जिनके चलते करीब 19 फीसदी प्रदूषण होता है. इसमें दूसरे राज्यों का धूल धुंआ और प्रदूषण शामिल है.
चौथा कारण: चौथा कारण दिल्ली में चलने वाला कंस्ट्रक्शन, लोगों के जलाने वाले कूड़े, शवदाह, यानि विभिन्न स्रोतों का है. इनसे दिल्ली में करीब 12 फीसदी प्रदूषण होता है.
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पांचवा कारण: प्रदूषण का पांचवा कारण दिल्ली के रिहायशी इलाके हैं, जहां रसोई से निकलने वाले धुंए, DG सेट जैसी चीजों से करीब 6 फीसदी प्रदूषण होता है. 2010 में रिहायशी इलाकों से 18 फीसदी प्रदूषण होता है लेकिन कैरोसिन के इस्तेमाल पर पाबंदी और शतप्रतिशत LPG होने से इस प्रदूषण में कमी आयी है.
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दूसरा कारण: दिल्ली के प्रदूषण में दूसरा योगदान दिल्ली में उद्योग और लैंडफिल साइट का है जिनके चलते करीब 23 फीसदी प्रदूषण होता है. इसमें अकेले भलस्वा, गाजीपुर और ओखला के लैंडफिल साइट से निकलने वाले धुंआ, उड़ता कचरा और कचरे से बिजली बनाने वाले कारखाने का योगदान करीब 10 फीसदी है.
तीसरा कारण: प्रदूषण का तीसरा कारण दिल्ली की हवा है. जिनके चलते करीब 19 फीसदी प्रदूषण होता है. इसमें दूसरे राज्यों का धूल धुंआ और प्रदूषण शामिल है.
चौथा कारण: चौथा कारण दिल्ली में चलने वाला कंस्ट्रक्शन, लोगों के जलाने वाले कूड़े, शवदाह, यानि विभिन्न स्रोतों का है. इनसे दिल्ली में करीब 12 फीसदी प्रदूषण होता है.
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पांचवा कारण: प्रदूषण का पांचवा कारण दिल्ली के रिहायशी इलाके हैं, जहां रसोई से निकलने वाले धुंए, DG सेट जैसी चीजों से करीब 6 फीसदी प्रदूषण होता है. 2010 में रिहायशी इलाकों से 18 फीसदी प्रदूषण होता है लेकिन कैरोसिन के इस्तेमाल पर पाबंदी और शतप्रतिशत LPG होने से इस प्रदूषण में कमी आयी है.
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