संत रविदास का मंदिर तुगलकाबाद में उसी जगह बनेगा जहां पर वह पहले था. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सोमवार को अपनी मुहर लगा दी. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है जिसमें उसी जगह पर मंदिर बनाने के लिए जमीन देने की बात कही गई है. बता दें कि कुछ महीने पहले ही प्रशासन ने दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित संत रविदास के मंदिर को ढहा दिया था. इसे लेकर बाद में जमकर बवाल भी हुआ है. और बाद में प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शांत और सद्भाव सनिश्चित करने के लिए किया जाना जरूरी है. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि साइट के 200 वर्ग मीटर क्षेत्र को मंदिर निर्माण के लिए भक्तों की एक समिति को सौंपा जा सकता है. कोर्ट ने केंद्र के प्रस्ताव को रिकॉर्ड में ले लिया और सोमवार को आदेश पारित करने के लिए मामले को सूचीबद्ध किया. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि उन्होंने भक्तों और सरकारी अधिकारियों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ परामर्श किया और केंद्र सरकार ने साइट के लिए भक्तों की संवेदनशीलता और विश्वास को देखते हुए भूमि देने के लिए सहमति व्यक्त की.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर के लिए पक्का निर्माण किया जा सकता है. इसे लेकर केंद्र सरकार एक समिति का गठन करेगी जो मंदिर का निर्माण कराएगी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि उस जगह पर किसी के भी द्वारा व्यावसायिक पार्किंग या गतिविधि की अनुमति नहीं होगी. संत रविदास के मंदिर का पक्का निर्माण करने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि क्योंकि यह मंदर जंगल के इलाके में है इसलिए यहां पक्का निर्माण करना सही नही होगा. लोगों की आस्था को देखते हुए सरकार जमीन दे रही है लेकिन यहां लकड़ी का ही मंदिर बनाया जा सकता है. इसपर कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार जमीन दे रही है तो मंदिर के लिए पक्के निर्माण पर रोक कैसे लगाई जा सकती है.
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इसपर अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि मन्दिर की आड़ में लोगों ने जंगल क्षेत्र में बड़ी जगह घेर रखी थी. ट्रक पार्क करते थे. 2000 वर्ग मीटर जगह घेर रखी थी जबकि 400 वर्गमीटर ही हो सकता है. जंगल क्षेत्र में आप स्थाई निर्माण नहीं कर सकते. इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि सब समहत हो जाएं तो कोर्ट मंदिर के लिए समुचित जमीन को मंजूरी दे सकता है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हमारा आदेश इस जमीन का किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल को रोकेगा. हम चाहते हैं कि मंदिर के देखभाल के लिए एक कमेटी का गठन हो. और इस कमेटी का गठन केंद्र सरकार खुद करे. कोर्ट ने सरकार को अगले छह हफ्ते के अंदर कमेटी का गठन करने को कहा है.
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