योगेंद्र यादव का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
योगेंद्र यादव की अगुवाई वाली स्वराज इंडिया ने मंगलवार को आरोप लगाया कि आप सरकार राष्ट्रीय राजधानी में 'फाइनेंस माफिया' की मिलीभगत से 1,85,000 रुपये के नए ऑटो रिक्शा 4,50,000 रुपये की कीमत में बेच रही है.
पार्टी ने इस 'वाहन घोटाले' की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर पाक साफ बाहर आने को कहा. हालांकि दिल्ली सरकार ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया.
पार्टी के प्रवक्ता अनुपम का दावा है, 'यदि एक बेरोजगार व्यक्ति आटो रिक्शा खरीदने का निर्णय करता है तो उससे 4,50,000 रुपये से 4,70,000 रुपये के बीच भुगतान कराया जाता है. जबकि एक नए ऑटो की वास्तविक कीमत 1,85,000 रुपये है'. उन्होंने आरोप लगाया कि 'फाइनेंस माफिया और सरकार' के बीच साठगांठ के तहत एक पुराने आटो को खत्म करने से पहले किसी दूसरे लाइसेंसधारक को हस्तांतरित किया जाता है. इसके बाद परिवहन विभाग स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट का सत्यापन कर अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करता है'.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग इस ऑटो को खरीदने के लिए इच्छा पत्र जारी करता है. यह संपूर्ण प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है.
उन्होंने दावा किया, 'दिल्ली में लगभग सभी ऑटो फाइनेंस पर बेचे जाते हैं, जहां फाइनेंसर इस 'ऑटो घोटाले' के संयोजक की भूमिका अदा करते हैं. इस साठगांठ में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का पूरी तरह से उल्लंघन किया जाता है'.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पार्टी ने इस 'वाहन घोटाले' की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मुद्दे पर पाक साफ बाहर आने को कहा. हालांकि दिल्ली सरकार ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया.
पार्टी के प्रवक्ता अनुपम का दावा है, 'यदि एक बेरोजगार व्यक्ति आटो रिक्शा खरीदने का निर्णय करता है तो उससे 4,50,000 रुपये से 4,70,000 रुपये के बीच भुगतान कराया जाता है. जबकि एक नए ऑटो की वास्तविक कीमत 1,85,000 रुपये है'. उन्होंने आरोप लगाया कि 'फाइनेंस माफिया और सरकार' के बीच साठगांठ के तहत एक पुराने आटो को खत्म करने से पहले किसी दूसरे लाइसेंसधारक को हस्तांतरित किया जाता है. इसके बाद परिवहन विभाग स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट का सत्यापन कर अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करता है'.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग इस ऑटो को खरीदने के लिए इच्छा पत्र जारी करता है. यह संपूर्ण प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है.
उन्होंने दावा किया, 'दिल्ली में लगभग सभी ऑटो फाइनेंस पर बेचे जाते हैं, जहां फाइनेंसर इस 'ऑटो घोटाले' के संयोजक की भूमिका अदा करते हैं. इस साठगांठ में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का पूरी तरह से उल्लंघन किया जाता है'.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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