
नई दिल्ली:
दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
कोर्ट ने यह नोटिस दिल्ली सरकार, सीएजी और एनजीओ ऊर्जा की याचिका पर दिया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि सरकार का इनमें 49 फीसदी शेयर है। बिजली वितरण कंपनियों के खातों में बड़ी गड़बड़ियां हैं।
दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के आप सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई होगी।
दरअसल, हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने का अधिकार नहीं है। साल 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया था, जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर, दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस, राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने यह नोटिस दिल्ली सरकार, सीएजी और एनजीओ ऊर्जा की याचिका पर दिया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि सरकार का इनमें 49 फीसदी शेयर है। बिजली वितरण कंपनियों के खातों में बड़ी गड़बड़ियां हैं।
दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के आप सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई होगी।
दरअसल, हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने का अधिकार नहीं है। साल 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया था, जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियां टाटा पावर, दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस, राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
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