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This Article is From Sep 24, 2018

जामिया में विशेष व्याख्यान माला का आयोजन, विशेषज्ञों ने समरसता पर दिया जोर

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एक व्याख्यान माला में विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों ने संघवाद की महत्ता पर जोर दिया.

जामिया में विशेष व्याख्यान माला का आयोजन, विशेषज्ञों ने समरसता पर दिया जोर
व्याख्यानमाला में कई विशेषज्ञों ने शिरकत की.
नई दिल्ली:

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एक व्याख्यान माला में विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों ने संघवाद की महत्ता पर ज़ोर देते हुए कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश में समरसता बनाए रखने के लिए यह बहुत ही ज़रूरी आयाम है. जेएमआई के मौलाना मुहम्मद अली जौहर एकेडमी आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज़ ने फिल्मकार कबीर खान के पिता प्रो रशीदउद्दीन खान की याद में इस व्यख्यान माला का आयोजन किया. एमएमएजे का पूर्व नाम एकेडमी आॅफ थर्ड वल्र्ड स्टडीज़ था और प्रो खान उसके डायरेक्टर थे.  इस कार्यक्रम में प्रो बलवीर अरोड़ा, प्रो कमल मित्र चिनाॅय, प्रो रश्मी दुरैस्वामी और कबीर खान जैसे अपने अपने क्षेत्र की जानी मानी हस्तियों ने विचार रखे. कार्यक्रम में प्रो रशीदउद्दीन खान के बेटे और मशहूर फिल्मकार कबीर खान भी उपस्थित थे. कबीर खान ने जेएमआई के एमसीआरसी से ही फिल्म बनाने की पढ़ाई की है. उन्होंने कहा कि वह जिस मुक़ाम पर हैं, उसमें जामिया मिल्लिया की बहुत बड़ी भूमिका है. 

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कबीर खान ने बताया कि उनके पिता बहु आयामी प्रतिभा के धनी थे और जिस डाक्यूमेंटरी पर वह काम रहे होते थे उसकी रिसर्च में वह बहुत सहायक होते थे. प्रो रशीदउद्दीन 1989 से 1991 तक इस एकेडमी के डायरेक्टर रहे। देश के जाने माने शिक्षाविद होने के साथ ही वह दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. जेएनयू के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रो चिनाॅय ने प्रो खान के साथ जेएनयू में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि संघवाद प्रो खान के लिए कितना महत्व रखता था. उन्होंने बताया कि वह अपने देश में संघवाद की जड़ें ज्यादा से ज्यादा मज़बूत करने के लिए अन्य देशों के संघवाद के आयामों के गहराई से अध्ययन करने पर हमेशा ज़ोर देते थे.

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दिल्ली के इंस्टिट्यूट आॅफ सोशल साइंस में मल्टीलेवल फैडरलइज़्म विभाग के चेयरमैन प्रो बलवीर अरोड़ा ने कहा कि प्रो खान ने जेएनयू में सेंटर फाॅर पाॅलिटिकल स्टडीज़ , जेएमआई में एकेडमी आॅफ थर्ड वल्र्ड स्टडीज़ और जामिया हमदर्द में सेंटर फाॅर फेडलर स्टडीज़ जैसे संस्थान स्थापित करके संघवाद के विचार को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान किया है. उन्होंने कहा कि प्रो ख़ान ने संघवाद को लोकतंत्र और धमनिर्पेक्षता से जोड़ कर इस विचार को और अधिक मज़बूती प्रदान की। उन्होंने कहा कि अपने सारगर्भित व्याख्यानों, लेखों और किताबों के ज़रिए प्रो खान ने विविधता और संघवाद के विचार को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा काम किया है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में उनके ये विचार हमेशा सामयिक बने रहेंगे. प्रो अरोड़ा ने कहा कि भारत में इस समय संघवाद से जुड़े दो आयाम महत्वपूर्ण है. एक, सिद्वांत एवं व्यवहार में भारतीय संघवाद को पेश आ रही चुनौतियां और दूसरा, बहुसंख्यावाद का सवाल. उन्होंने कहा कि बहुसंख्यावाद संघवाद के विरूद्ध है. कार्यक्रम के बाद प्रश्न-उत्तर का दौर चला. 

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